उदित वाणी, चांडिल: वी कलाकार आर्ट क्लासेज़ के छात्रों ने टुसू पर्व की महिमा को अमूर्त पेंटिंग के माध्यम से जीवंत किया है. इस विशेष कला प्रोजेक्ट का नेतृत्व वी कलाकार कम्यूनिटी के संस्थापक सौरभ प्रामाणिक ने किया, जो चांडिल के चैनपुर में अपनी आर्ट क्लास संचालित करते हैं.
सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने की प्रेरणा
सौरभ प्रामाणिक ने अपने छात्रों को इस परियोजना के जरिए टुसू पर्व की गहराई को समझने और उसे पेंटिंग के माध्यम से व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया. उनका मानना है कि ऐसी कलात्मक गतिविधियाँ बच्चों की रचनात्मकता को निखारने के साथ-साथ उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती हैं.
झारखंड और बंगाल की संस्कृति का उत्सव
सांस्कृतिक पर्व टुसू झारखंड और पश्चिम बंगाल की लोक परंपरा का अहम हिस्सा है. छात्रों ने इस पर्व की अमूर्त पेंटिंग्स के जरिए उसकी सुंदरता और भावनाओं को चित्रित किया. इन पेंटिंग्स में त्योहार की ऊर्जा और ग्रामीण जीवन की छवियों को बखूबी उकेरा गया.
बच्चों की रचनात्मकता का अद्भुत प्रदर्शन
टुसू पर्व पर बनाई गई पेंटिंग्स न केवल कला के प्रति बच्चों की रुचि को प्रदर्शित करती हैं, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करती हैं. सौरभ प्रामाणिक ने बताया कि इस तरह की गतिविधियाँ बच्चों को कला के माध्यम से सामाजिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता सिखाने का एक सशक्त माध्यम हैं.
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