उदित वाणी, रांची: स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री रामदास सोरेन ने सदन में कहा कि जेएसएससी में प्राइमरी व मध्य विद्यालयों में 26001 सहायक आचार्य की नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. उन्होंने बताया कि जेएसएससी द्वारा अनुशंसा भेजने के साथ ही शिक्षकों की जल्द नियुक्ति कर दी जायेगी. मंत्रालय स्तर पर शिक्षकों की कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं विभागीय मंत्री ने यू डायस आंकड़ों के आधार पर स्वीकार किया कि राज्य में 103 ऐसे स्कूल हैं. जहां एक भी विद्यार्थी नहीं हैं. परंतु उन विद्यालयों में 17 शिक्षक पदस्थापित हैं. मंत्री ने कहा कि लेकिन उक्त स्कूलों को बंद नहीं किया जायेगा. बल्कि स्कूल छोड़नेवाले बच्चों को वापस लाने के लिए स्कूल चले-चलाएं अभियान संचालित किया जा रहा है. जिसमें शिक्षक विद्यालय पोषक क्षेत्र में भ्रमण कर अभिभावकों को बच्चों के नामांकन के लिए प्रेरित करते हैं. शिक्षामंत्री ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या घट रही है. परंतु ऐसे विद्यालयों से शिक्षकों को हटा देंगे तो वहां बच्चों की संख्या और घट जायेगी.
बजट सत्र के छठवें दिन विभागीय मंत्री भाजपा विधायक राज सिन्हा के एक अल्पसूचित प्रश्न के जबाब में उक्त जानकारी दी है. राज सिन्हा ने सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य गठन के बाद प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक विद्यालयों के संसाधन युक्त होने के बावजूद 8353 ऐसे स्कूल हैं. जिनमें एक-एक शिक्षक हैं. जिससे 4.10 लाख बच्चों पर असर पड़ रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि राज्य के 199 स्कूलों में एक भी विद्यार्थी नहीं हैं और उन स्कूलों में 398 शिक्षक करर्यरत हैं. ऐसे स्कूलों को बंद करके शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में पदस्थापित कर छात्र-शिक्षक के अनुपात का संतुलन किया जाना चाहिए. जिसके जबाब में मंत्री ने कहा कि राज्य में 103 स्कूलों में एक भी विद्यार्थी नहीं हैं और इनमें 17 शिक्षक पदस्थापित हैं. लेकिन स्कूल बंद नहीं किये जायेंगे.
साथ ही विभागीय मंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में कोई न कोई अड़चन लगाकर राज्य सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने की साजिश की जाती है. स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने शेष लगभग दो हजार याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति की मांग की. मंत्री ने इसपर विचार करने का आश्वासन दिया. कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक माहौल बेहतर करने के लिए बीईईओ को जिम्मेदारी देने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि बीईईओ जितना मिड डे मील पर जोर देते हैं. उतना ही जोर शैक्षणिक माहौल बेहतर करने पर भी दें तो बेहतर होगा.
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