उदित वाणी, जमशेदपुर: इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के जमशेदपुर सेंटर के तत्वावधान में शनिवार को एसएनटीआई ऑडिटोरियम में इलेक्ट्रिक पावर सिस्टम में हालिया प्रगति पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया. इस सेमिनार के मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और प्रमुख इंजीनियरिंग डिवीजन सीएसआईआर एनएमएल प्रवेश कुमार धवन थे. सेमिनार में शिक्षा जगत के साथ-साथ उद्योग जगत से पचहत्तर से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें एनआईटी जमशेदपुर, अरका जैन विश्वविद्यालय, श्रीनाथ विश्वविद्यालय, मैरीलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, आदित्यपुर पॉलिटेक्निक के स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध विद्वान और साथ ही टाटा स्टील, टाटा स्टील ग्रोथ शॉप, सीएसआईआर-एनएमएल, आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड, टाटा टिनप्लेट आदि के पेशेवर शामिल हुए.
सेमिनार के उद्घाटन सत्र की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर किया गया. टाटा स्टील लिमिटेड के आयरन मेकिंग इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस के प्रमुख सौरभ गोयल ने स्वागत भाषण दिया. उन्होंने ग्रिड नेटवर्क के एकीकरण के बारे में बात की. परवेश कुमार धवन ने निर्बाध, विश्वसनीय बिजली आपूर्ति के लिए पावर ग्रिड के एकीकरण के लिए इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम पर प्रकाश देते हुए कहा कि इसके लिए राष्ट्रीय ग्रिड के बेहतर नियंत्रण, सुरक्षा और साइबर सुरक्षा की आवश्यकता है. ऊर्जा में नवाचार- स्वच्छ और हरित भारत को आकार देना विषय पर मुख्य व्याख्यान मैरीलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गालूडीह की डॉ. रेखा चौधरी ने दिया. उन्होंने अपना व्याख्यान दिया और ऊर्जा के उभरते स्रोतों के उद्देश्य को विस्तार से बताया, जो स्वच्छ और हरित ऊर्जा प्रदान करेंगे. ऊर्जा की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इसे देखते हुए बिजली उत्पादन स्रोतों का कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से ऊर्जा उत्पादन करने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए.
हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है
हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है, जिसे ईंधन सेल में उपयोग करने पर केवल पानी ही बनता है. हाइड्रोजन का उत्पादन प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा, बायोमास और सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा जैसे स्रोतों से किया जा सकता है. यह परिवहन और बिजली उत्पादन अनुप्रयोगों के लिए एक आकर्षक ईंधन विकल्प है. एनआईटी जमशेदपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ ओमहरि गुप्ता ने अक्षय ऊर्जा स्रोतों को ग्रिड में एकीकृत करने से जुड़ी चुनौतियों और समाधानों पर विस्तार से बताया तथा ऊर्जा सुनिश्चितता बढ़ाने में माइक्रोग्रिड तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डाला और बिजली की गुणवत्ता के मुद्दों पर भी चर्चा की. तीसरे तकनीकी सत्र को डॉ. शरत चंद्र महतो सहायक प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग और एसोसिएट डीन (शैक्षणिक मामले के), आरवीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी जमशेदपुर ने लिया. उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहन पर जोर दिया और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) के लिए रैखिक मैट्रिक्स असमानताओं (एलएमआई) के रूप में स्थिर फजी नियंत्रकों पर विस्तार से बताया.
चौथा तकनीकी सत्र एनआईटी जमशेदपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार ने लिया, जिन्होंने नए भारत के लिए हरित ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा पर बात की, जिसमें हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकी और स्मार्ट ग्रिड प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं पर जोर दिया गया. अंतिम सत्र में एनआईटी जमशेदपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर इंजीनियर अजीत कुमार सिंह ने डीसी माइक्रोग्रिड फीडर प्रोटेक्शन के बारे में चर्चा की. उन्होंने ऊर्जा भंडारण, साइबर सुरक्षा, वित्तीय, आर्थिक, परिचालन और रखरखाव जैसे मुद्दों पर विस्तार से बताया. सेमिनार का समापन विदाई सत्र के साथ हुआ जिसमें प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए, प्रतिभागियों का फीडबैक सत्र हुआ.
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