
उदित वाणी, जमशेदपुर : हिंदू संगठनों के लगातार बढ़ते दबाव और पुलिस अधीक्षक मुकेश लुनायत को मिली गुप्त सूचना के आधार पर कपाली ओपी पुलिस ने गुरुवार को तस्करों के चंगुल से 34 गोवंशीय पशुओं को मुक्त कराया। पुलिस की त्वरित कार्रवाई में तीन तस्करों को मौके से गिरफ्तार किया गया है, जिन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में चिलगू सलगाडीह के रहने वाले रोहिना कर्मकार, चाकू हांसदा और कार्तिक लोहार शामिल हैं। पुलिस को सूचना मिली थी कि अवैध तरीके से गोवंशीय पशुओं की तस्करी की जा रही है। सूचना की पुष्टि होते ही कपाली ओपी प्रभारी सोनू कुमार के नेतृत्व में टीम ने अभियान चलाकर दो मालवाहक वाहनों को रोका।
वाहनों की तलाशी लेने पर उनमें कुल 17 गोवंशीय पशु मिले। एक वाहन का नंबर JH 22G-8083 और दूसरा वाहन WB 23F-6437 है। अंधेरा होने का फायदा उठाकर दोनों वाहनों के चालक मौके से फरार हो गए, जिनकी तलाश की जा रही है।
पूरे अभियान में कुल 34 मवेशियों को मुक्त कराकर स्थानीय गौशाला में सुरक्षित रूप से स्थानांतरित किया गया है। पुलिस अधीक्षक मुकेश लुनायत ने बताया कि यह कार्रवाई गुप्त सूचना के आधार पर की गई थी और इस प्रकार की गतिविधियों पर सख्त नजर रखी जा रही है।
कपाली ओपी प्रभारी सोनू कुमार ने बताया कि गिरफ्तार तस्करों से पूछताछ की जा रही है और इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की भी पहचान की जा रही है। पूरे मामले में पशु क्रूरता अधिनियम और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस का कहना है कि पशु तस्करी को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस कार्रवाई के बाद स्थानीय हिंदू संगठनों और गौ-सेवा से जुड़े संगठनों ने पुलिस प्रशासन की सराहना की है और भविष्य में भी ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा जताई है।
वहीं दूसरी ओर पुलिस ने दोनों वाहनों के मालिकों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह मवेशी पश्चिम बंगाल की ओर ले जाए जा रहे थे।
मुक्त कराए गए सभी मवेशियों की स्थानीय पशु चिकित्सकों द्वारा जांच की गई है। कुछ मवेशियों की हालत खराब पाई गई, जिनका इलाज कराया जा रहा है।
गौरतलब है कि सरायकेला-खरसावां जिला इन दिनों मवेशियों की तस्करी को लेकर लगातार चर्चा में है। इससे पूर्व भी कई बार तस्करी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हिंदू संगठनों की ओर से लगातार प्रशासन से इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही थी।
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