उदितवाणी, कांड्रा: मंगलवार शाम को आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित प्रकाश इंडस्ट्रियल पार्क में स्थित श्री लक्ष्मी गणेश एंटरप्राइजेज में प्रशासनिक अधिकारियों ने अचानक छापेमारी की. इस छापेमारी के बाद पूरे इंडस्ट्रियल एरिया में हड़कंप मच गया. दबिश देने वाली टीम में प्रशिक्षु आईएएस कुमार रजत, सरायकेला एसडीओ सदानंद महतो, श्रम अधीक्षक अविनाश ठाकुर, जिला खनन पदाधिकारी ज्योति शंकर सतपति, गम्हरिया अंचल अधिकारी अरविंद बेदिया, और आदित्यपुर थाना प्रभारी राजीव कुमार सिंह शामिल थे.
800 टन स्क्रैप जब्त, दस्तावेज़ नहीं मिले
प्रशासनिक अधिकारियों ने श्री लक्ष्मी गणेश एंटरप्राइजेज से करीब 800 टन स्लैग स्क्रैप जब्त किया. हालांकि, कंपनी के अधिकारियों से जब इस माल से संबंधित दस्तावेज मांगे गए, तो वे उसे दिखा नहीं पाए. इसके बाद अधिकारियों ने सभी माल को जब्त कर लिया और कंपनी को 24 घंटे का समय दिया, ताकि वे संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत कर सकें.
टाटा स्टील की शिकायत के बाद हुई छापेमारी
एसडीओ सदानंद महतो ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि टाटा स्टील की ओर से शिकायत प्राप्त हुई थी कि उनके स्लैग का चोरी कर यहां डंप किया जा रहा है. इसी शिकायत के आधार पर प्रशासनिक अधिकारियों ने कार्रवाई की और छापेमारी की. इस दौरान करीब 800 टन स्क्रैप जब्त किया गया.
कंपनी का दावा और विवाद
कंपनी के अधिकारी विजय श्रीवास्तव ने दावा किया कि यह स्क्रैप उन्होंने टाटा स्टील से खरीदी थी. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि छापेमारी किसकी शिकायत पर की गई. हालांकि, छापेमारी के दौरान टाटा स्टील के अधिकारी निखिल खरे और सिक्योरिटी ऑफिसर महेंद्र सिंह बानरा भी मौजूद थे. इन अधिकारियों ने ऑफ द रिकॉर्ड दावा किया कि जब्त किए गए स्क्रैप का 90 प्रतिशत हिस्सा टाटा स्टील के गम्हरिया डिवीजन का है, जबकि कंपनी के अधिकारी जो दस्तावेज़ दिखा रहे हैं, वे जमशेदपुर यूनिट के हैं और वह भी अधूरे हैं.
सवालों के घेरे में स्क्रैप चोरी
सूत्रों के अनुसार, टाटा स्टील के गम्हरिया डिवीजन से बड़े पैमाने पर स्क्रैप की चोरी की जा रही है, जिसमें कंपनी के अधिकारियों, कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत हो सकती है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में किसका दावा सही है और आगे क्या कार्रवाई की जाएगी.
सवालों के घेरे में एक गंभीर मामला
यह मामला इस समय चर्चा का विषय बन चुका है, और प्रशासन की जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इन दावों में कितनी सच्चाई है.
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