उदित वाणी, जमशेदपुर : विशेष पॉक्सो न्यायाधीश श्रीश दत्त त्रिपाठी की अदालत ने मंगलवार को विशेष पॉक्सो कांड संख्या 56/2020 में सोनारी निवासी 5 वर्षीय सौतेली बेटी से दुष्कर्म और हत्या के सनसनीखेज मामले में एकमात्र आरोपी सुप्रियो घोष उर्फ राजा हिटलर को बरी कर दिया.
इस मामले में बचाव पक्ष के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता केएस दास (जॉली दास) और अमित कुमार तिवारी थे. अदालत ने आरोपी के खिलाफ अपर्याप्त साक्ष्य के आधार पर बरी करने का फैसला सुनाया, पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था. घटना के चार साल आठ महीने बाद फैसला आया.
यह घटना 31.08.2020 को सामने आई थी जब सोनारी पुलिस सीमा के न्यू कपाली बस्ती इलाके की एक पांच साल की बच्ची (नाम छुपाया गया) अपने घर के बाहर खेलते समय लापता हो गई थी. उसकी मां रजनी पात्रो ने अपने परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों के साथ मृतका को हर जगह खोजा, लेकिन वह नहीं मिली. कुछ गलत होने का अंदेशा होने पर रजनी ने 1 सितंबर को सोनारी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. 2 सितंबर को सोनारी पुलिस को शमशान काली मंदिर से करीब 100 गज की दूरी पर मरीन ड्राइव के पास बलराम भट्टा में स्वर्णरेखा नदी के किनारे झाड़ियों के पास एक नाबालिग लड़की का शव मिलने की सूचना मिली. शव नग्न अवस्था में मिला था और बायां हथेली गायब थी. इस संबंध में धारा 363, 302, 201, 364, 376ए, 376बी और पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत प्राथमिकी (142/2020) दर्ज की गई थी.
इस घटना से स्थानीय निवासियों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने इस जघन्य अपराध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. सोनारी थाने की तत्कालीन प्रभारी अधिकारी रेणु गुप्ता को इस मामले की जांच का प्रभार दिया गया था. पुलिस को संदेह था कि लड़की के साथ बलात्कार किया गया था और बाद में मरीन ड्राइव के पास उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. उन्होंने संदेह के आधार पर रजनी पात्रो के दूसरे पति सुप्रियो घोष को गिरफ्तार किया, जो उस समय 21 वर्ष से कुछ अधिक थे. उन्होंने दावा किया था कि सुप्रियो ने अपनी सौतेली बेटी को मार डाला क्योंकि वह रजनी, जो ब्यूटी पार्लर में काम करती थी, से अपना बच्चा चाहता था. बहस के दौरान, बचाव पक्ष के वकीलों ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था. उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले में परिस्थितियों की श्रृंखला के अस्तित्व को स्थापित करने में विफल रहा है क्योंकि सुप्रियो घोष द्वारा किए गए कथित अपराध का एक भी प्रत्यक्षदर्शी नहीं था. रजनी पात्रो, उनके रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने गवाह के रूप में अपने बयान में कहा कि उन्हें दूसरों से घटना के बारे में पता चला था. मृतका की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी दुष्कर्म के लक्षण नहीं मिले हैं. साथ ही, कोई फिंगरप्रिंट या हथियार भी नहीं मिला है, जिससे आरोपी को दोषी ठहराया जा सके.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना वाले दिन सुप्रियो सोनारी स्थित अपने ससुराल आए थे. भोजन के बाद, वह कथित तौर पर अपनी सौतेली बेटी के साथ स्कूटी पर घूमने के लिए निकले थे. तब से, लड़की को जीवित नहीं देखा गया, जिससे पुलिस को नाबालिग की नृशंस हत्या में सुप्रियो की संलिप्तता पर संदेह हुआ. पुलिस ने आरोप लगाया कि स्कूटी 31 अगस्त 2020 को एमजीएम थाना क्षेत्र के शिरामन नगर में उसके मालिक रोजली मिंज उर्फ रोजली टोप्पो के गैरेज से चोरी हुई थी. एमजीएम पुलिस ने स्कूटी चोरी का एक अलग मामला (68/2020) दर्ज किया था. हालांकि, सुप्रियो को चोरी के आरोपों से बरी कर दिया गया था. इस मामले में, बचाव पक्ष के वकीलों ने आरोपी के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के कई प्रमुख फैसलों का हवाला दिया. उनमें से सबसे प्रमुख शरद बिरधी चंद सारदा बनाम महाराष्ट्र राज्य (1984) था.
इस ऐतिहासिक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर मामले को साबित करने के लिए पांच स्वर्णिम सिद्धांतों या ‘पंचशील’ पर भरोसा किया था. इस नियम के अनुसार, साक्ष्यों की एक श्रृंखला इतनी पूर्ण होनी चाहिए कि आरोपी की निर्दोषता के अनुरूप निष्कर्ष के लिए कोई उचित आधार न बचे और यह दर्शाए कि सभी मानवीय संभावनाओं में यह कृत्य आरोपी द्वारा ही किया गया होगा. बचाव पक्ष ने 26 नवंबर 2024 और फिर 19 अप्रैल 2025 को दलीलें रखीं. मामले की पहली सुनवाई 27 नवंबर 2020 को हुई. सुप्रियो के पिता सुभाष उर्फ बबलू घोष, गोकुलनगर, डिमना रोड निवासी ने अपने बेटे को बरी किए जाने पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को बरी किए जाने का बहुत लंबा इंतजार और प्रार्थना की थी.
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