उदित वाणी, पटमदा : पटमदा थाना क्षेत्र के लच्छीपुर पंचायत अंतर्गत बांतोड़िया गांव में शनिवार को ज़मीन विवाद को लेकर जमकर बवाल हुआ. यह विवाद तब शुरू हुआ जब दोपहर लगभग 12 बजे जमशेदपुर सिविल कोर्ट के आदेश पर विश्वनाथ माझी पक्ष को 31.15 एकड़ जमीन का दखल दिलाने के लिए कोर्ट की टीम गांव पहुंची.
करीब डेढ़ बजे के बाद कोर्ट के कर्मचारियों और ग्रामीणों के दूसरे पक्ष के बीच बहस और झड़प शुरू हो गई. बांतोड़िया के सबर टोला में ग्राम प्रधान विभूति माझी समेत 24 परिवारों ने कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर दिया. उनका दावा था कि उन्हें पहले ही, वर्ष 2022 में, इसी जमीन पर कोर्ट से डिग्री मिल चुकी है. ऐसे में दूसरी बार आदेश कैसे आ सकता है?
उग्र भीड़ और लाठीचार्ज, दोनों पक्षों के लोग घायल
कोर्ट के कर्मचारियों और ग्रामीणों के बीच तीखी बहस के बीच भीड़ उग्र हो गई. कुछ ग्रामीण हाथों में पत्थर और मिट्टी के ढेले लेकर पहुंच गए. जवाब में कोर्ट कर्मचारियों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठियों और हाथों से प्रहार किया. इस दौरान दोनों ओर से कई लोग घायल हुए.
स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि अगर पटमदा, बोड़ाम और कमलपुर थाने की पुलिस समय पर बीच-बचाव नहीं करती, तो हालात और बिगड़ सकते थे. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद करीब ढाई बजे मामला शांत हुआ.
पुलिस और कोर्ट टीम को बनाया गया बंधक
घटना के बाद दो ग्रामीणों के गंभीर रूप से घायल होने पर भीड़ और अधिक भड़क गई. उग्र ग्रामीणों ने कोर्ट की टीम के साथ-साथ पुलिसकर्मियों को भी बंधक बना लिया. एक महिला समेत चार घायलों को पटमदा के माचा सीएचसी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया. लेकिन शाम छह बजे तक पुलिस व कोर्ट की टीम बंधक बनी रही. पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद ही उन्हें छोड़ा गया.
मापी का कार्य रोका गया, कोर्ट में फिर दायर होगा आवेदन
घटना के कारण जमीन की मापी स्थगित कर दी गई. सिविल कोर्ट के नाजिर धीरज कुमार ने बताया कि वे मामले में सहयोग को तैयार हैं, लेकिन कोर्ट में तत्काल आवेदन देकर आदेश पर रोक लगाने की प्रक्रिया अपनानी होगी.
दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोप
ग्राम प्रधान विभूति माझी ने आरोप लगाया कि कोर्ट के कर्मचारियों से जानकारी मांगने पर उन्हें थप्पड़ मारा गया और एक महिला समेत चार लोगों की लाठी से पिटाई की गई. उन्होंने कहा कि यदि यह कार्य पुलिस करती, तो उन्हें उतनी आपत्ति नहीं होती, लेकिन कोर्ट कर्मचारियों द्वारा की गई मारपीट गलत है. उन्होंने कानूनी कार्रवाई की मांग की है. घायलों में झाड़मणी माझी, रेवती माझी, सुनील माझी और महावीर माझी शामिल हैं.
दूसरी ओर, कोर्ट टीम का आरोप है कि ग्राम प्रधान के नेतृत्व में ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और सरकारी काम में बाधा पहुंचाई. आत्मरक्षा में ही हाथों से प्रतिक्रिया दी गई. बाद में ग्रामीणों ने अपनी गलती स्वीकार भी की.
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