
उदित वाणी, जमशेदपुर: सिदगोड़ा थाना अंतर्गत भुइयांडीह ग्वाला बस्ती में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जहाँ एक 90 वर्षीय वृद्धा राजरानी देवी को उसकी ही बेटी ने घर से निकाल दिया। आरोप है कि मकान पर कब्जा जमाने की नीयत से बेटी इंदु देवी ने अपनी मां और दिव्यांग भाई के साथ मारपीट की। घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी बेटी को हिरासत में ले लिया है।
दिव्यांग बेटे संग रह रही थी वृद्धा
राजरानी देवी पिछले कई वर्षों से अपने दिव्यांग बेटे महेंद्र ठाकुर के साथ ग्वाला बस्ती स्थित मकान में रह रही हैं। परिवारिक सूत्रों के अनुसार, बेटी इंदु भी उसी घर में रहती थी लेकिन बीते कुछ महीनों से वह पूरे मकान पर एकाधिकार जमाने का प्रयास कर रही थी।
मकान न मिला तो मां से मांगे पांच लाख
स्थानीय लोगों की मानें तो इंदु ने जब यह देखा कि वह मकान पूरी तरह से अपने नाम नहीं करवा पा रही है, तब उसने अपनी मां से पांच लाख रुपये की मांग कर दी। वृद्धा द्वारा असमर्थता जताने पर उसने गाली-गलौज करते हुए राजरानी देवी के साथ हाथापाई शुरू कर दी।
विधायक तक पहुंचा मामला
बेटी की बढ़ती ज्यादतियों से परेशान होकर वृद्धा ने स्थानीय विधायक पूर्णिमा दास साहु से भी मदद की गुहार लगाई थी। विधायक से मिलने की जानकारी जब बेटी इंदु को हुई तो उसने और आक्रामक रुख अपनाते हुए न सिर्फ मां बल्कि अपने दिव्यांग भाई के साथ भी मारपीट की। इसके बाद दोनों को जबरन घर से बाहर निकाल दिया गया।
स्थानीय लोगों में आक्रोश, पुलिस कर रही जांच
घटना के बाद जब राजरानी देवी और उनके बेटे ने थाने में शिकायत दर्ज कराई, तो सिदगोड़ा पुलिस हरकत में आई और आरोपी इंदु को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच जारी है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय निवासियों में इस अमानवीय घटना को लेकर काफी आक्रोश है। पड़ोसियों का कहना है कि राजरानी देवी और उनका बेटा वर्षों से शांतिपूर्वक जीवन यापन कर रहे थे, लेकिन इंदु के स्वार्थी रवैये ने पूरे मोहल्ले को विचलित कर दिया है।
पुलिस का बयान
सिदगोड़ा थाना प्रभारी ने बताया कि “हमें घटना की सूचना मिलते ही त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को हिरासत में लिया गया है। जांच के बाद साक्ष्यों के आधार पर उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। पीड़िता और उनके बेटे को सुरक्षा दी गई है और सामाजिक कल्याण विभाग से भी संपर्क किया गया है।”
एक ओर जहाँ समाज वृद्धजनों और दिव्यांगों के लिए संवेदनशील बनने की बात करता है, वहीं इस प्रकार की घटनाएं न सिर्फ सामाजिक तानेबाने को झकझोरती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि पारिवारिक मूल्यों का ह्रास किस हद तक हो चुका है। प्रशासन और समाज को मिलकर ऐसे मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करनी होगी ताकि “बुजुर्ग सम्मान” जैसे शब्द केवल नारे न रह जाएं।
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