उदित वाणी, रांची: कुख्यात गैंगस्टर्स अमन साहू उर्फ अमन साव पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. उसका एनकाउंटर झारखंड में सुपरकॉर्प माने जानेवाले एटीएस के डीएसपी प्रमोद कुमार सिंह उर्फ पीके ने किया. अंतर्राष्ट्रीय गैंगस्टर्स लोरेंस बिश्नोई के साथ संबंध रखनेवाला अमन साव भी अंतर्रष्ट्रीय गैंगस्टर्स बनने की तमन्ना पाले हुये था. अमन साव के खिलाफ कई राज्यों के विभिन्न थानों में संगीन आपराधिक मामलों में 150 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गई है और वह झारखंड पुलिस के नाक में दम कर रखा था. मोबाइल रिपेयरिंग करते-करते वह बड़ा गैंगस्टर्स बन गया था. मंगलवार को उसे रायपुर जेल से झारखंड एटीएस की टीम द्वारा रिमांड पर रांची लाया जा रहा था. हजारीबाग में एनटीपीसी डीजीएम की हत्या मामले में पूछताछ के लिए अमन साहू को रांची लाया जा रहा था. पलामू के एसपी रिष्मा रमेशन के अनुसार अमन साहू को एटीएस की टीम रायपुर जेल से रांची ला रही थी. जैसे ही पुलिस टीम की स्कॉर्पियो सुबह करीब 9.15 बजे चैनपुर-रामगढ़ रोड़ के अन्हारी ढ़ोढ़ा घाटी पहुंची. अमन साहू के साथियों ने उसे छुड़ाने के लिए स्कॉर्पियो पर सुतली बम फेंका. इसके बाद स्कॉर्पियों दुर्घटनाग्रस्त हो गई. दुर्घटना के बाद अमन साहू ने हवलदार राकेश कुमार के हाथ से राइफल छीनकर फायरिंग की कोशिश की. तभी जबाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया गया. हवलदार की जांघ में गोली लगी है. उसका इलाज एमएमसीएच पलामू में चल रहा है. वहीं घटना के बाद उसके सहयोगी भाग निकले. घटनास्थल जंगली इलाका है. यहां मोबाइल नेटवर्क की भी दिक्कत है. घटनास्थल से 100 मीटर पहले आम लोग और मीडिया के जाने पर रोक लगा दी गई है.
अमन साव ने मोहाली से आईटी में किया था डिप्लोमा
एक मामले में कोर्ट में पुलिस द्वारा 20 पन्नों में दिए गये बयान के अनुसार गैंगस्टर अमन साहू ही अमन साव के नाम से भी जाना जाता है. उसका जन्म रांची जिले के मतवे बुढ़मू गांव में साल 1995 में हुआ था. साल 2010 में उसने मैट्रिक की परीक्षा 78 फीसदी अंकों के साथ पास की थी. उसके बाद उसने पंजाब के मोहाली से इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस में 62 प्रतिशत अंकों के साथ डिप्लोमा किया था. बर्ष 2012 में वह घर आया था और पतरातू में मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान खोला था, उसी दौरान उसकी पहचान झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के तत्कालीन सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह से हुई और यहीं से उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा था. एक कांड में वह बर्ष 2015 में पहली बार जेल गया. जहां उसकी दोस्ती सुजीत सिन्हा एवं मयंक सिंह से हुई थी और वह उग्रवादी संगठनों के अलावा दूसरे आपराधिक गिरोहों के संपर्क में आया था.
तीन माह से रायपुर के जेल में था
अमन साहू पर रायपुर में रंगदारी के दो मामले दर्ज है और वह पिछले साढ़े तीन महीने से रायपुर जेल में था. 40 पुलिसकर्मियों की टीम अमन साहू को झारखंड से प्रोडक्शन वारंट पर 14 अक्टूबर को रायपुर लेकर गई थी. रायपुर के तेलीबांधा इलाके में कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक कारोबारी प्रह्लाद राय अग्रवाल की कार पर फायरिंग केस में अमन साहू मुख्य आरोपी था. 13 जुलाई को अमन के गुर्गों ने फायरिंग की थी.
बड़कागांव से लड़ना चाहता था विधानसभा चुनाव
अमन साहू इस साल हुए विधानसभा चुनाव भी लड़ना चाह रहा था. उसने बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए पर्चा भी खरीदा था और उसने चुनाव लड़ने की अनुमति के लिए झारखंड हाईकोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की थी. लेकिन झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एस के द्विवेदी की पीठ ने चुनाव लड़ने के लिए सजा पर रोक लगाने की मांगवाली याचिका खारिज कर दी थी. आर्म्स एक्ट के केस में रामगढ़ की निचली अदालत ने अमन साहू को मई 2018 में छह साल की सजा सुनाई थी. इस मामले में रामगढ़ के पतरातू थाना में प्राथमिकी की गई थी. पुलिस जिस रफ्तार से घटनाओं का खुलासा करती थी. उतनी ही रफ्तार से अमन की गैंग घटनाओं को अंजाम देता था. बीते 4 साल में 10 अलग-अलग जेलों में उसका ट्रांसफर किया गया.
एनकाउंटर स्पेशियेलिस्ट प्रमोद सिंह काफी सुर्खियों में रहे हैं
इधर अमन साहू का एनकाउंटर करनेवाले प्रमोद कुमार सिंह पहले पलामू में तैनात थे. सिंह बर्ष 1994 बैच के हैं और पलामू के चैनपुर में थाना प्रभारी रहे हैं. प्रमोशन के बाद प्रमोद कुमार सिंह एटीएस में डीएसपी है. पलामू में तैनाती के दौरान प्रमोद सिंह ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए काफी सुर्खियां बटोरी थी. बर्ष 2004 में लातेहार के बरवाडीह के मंडल के इलाके में एक नक्सली को एनकाउंटर में मारा था और अपने बुलेट से ही शव को लेकर थाना पहुंचे थे. वहीं बर्ष 2022 में धनबाद के बैंक मोड़ स्थित मुथूट फाइनेंस में डकैती की कोशिश हुई थी. तब पीके ने अकेले ही अपराधियों का एनकाउंटर किया था. इस घटना में सभी अपराधी मारे गए थे और यह मुठभेड़ काफी चर्चित हुई थी. जिस जगह अमन साहू का एनकाउंटर हुआ. वहां पहले भी एक डकैत मारा गया है. पुलिस को पहले से ही आशंका थी कि अमन साहू को लाने में कुछ गड़बड़ हो सकती है. इसीलिए पीके को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी. पीके की तेज तर्रारी और सटीक निशानेबाजी के कारण ही अमन साहू को भागने का मौका नहीं मिला.
झारखंड पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया था अमन साव
अमन साहू झारखंड पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती था. सोमवार को भाजपा ने विधानसभा में विधि-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए हंगामा किया था. वहीं अमन साहू के एनकाउंटर के बाद भाजपा विधायकों ने हेमंत सरकार की तारीफ की. हाल ही में रांची के कोयला कारोबारी विपिन मिश्रा पर गोलीबारी मामले में भी अमन साहू का नाम आया था. उसके गिरोह के निशाने पर कोयला कारोबारी, ट्रांसपोर्टर, ठेकेदार, रियल एस्टेट कारोबारी और बिल्डर थे. अमन इनसे लगातार रंगदारी वसूल रहा था. बात नहीं मानने पर खुलेआम गोलियां भी चलवाता था. इसके बाद गैंग के गुर्गे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर और वर्चुअल नंबर से मीडिया को जानकारी भी देते थे कि घटना को उनके ही गिरोह ने अंजाम दिया है.
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