उदित वाणी, आदित्यपुर: आदित्यपुर स्थित एनआईटी जमशेदपुर के डायमंड जुबली लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स में 4 फरवरी को माँ सरस्वती की प्रतिमा का भव्य अनावरण हुआ. इस विशेष अवसर पर परम पूज्य स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया.
स्वामी गोविंददेव गिरि जी का व्याख्यान
स्वामी जी ने योग वशिष्ठ और महाभारत के माध्यम से ज्ञान, संस्कृति और आध्यात्मिकता के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, “ज्ञान और संस्कृति के बिना हमारा जीवन अधूरा है. हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखना चाहिए और ज्ञान की खोज में लगे रहना चाहिए.”
आईकेएस के अध्यक्ष का स्वागत उद्बोधन
इसके बाद भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र (आईकेएस) के अध्यक्ष और उप निदेशक प्रो. आर. वी. शर्मा ने स्वागत उद्बोधन दिया. उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व और उसके संरक्षण पर जोर दिया.
एनआईटी के निदेशक का संबोधन
एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक प्रो. गौतम सूत्रधार ने भी उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए इस ऐतिहासिक घटना के महत्व पर चर्चा की.
विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा
इस अवसर पर डॉ. ओम प्रकाश पांडेय ने “विज्ञान में भारतीय ज्ञान परंपरा” पर अपने विचार रखे, जिससे कार्यक्रम में एक गहन संवाद का वातावरण बना.
समापन और धन्यवाद ज्ञापन
कार्यक्रम का संचालन डॉ. स्वाति सुधा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सरोज कुमार सारंगी ने दिया. इस आयोजन में एनआईटी जमशेदपुर के कुल सचिव डॉ. निशिथ कुमार राय और अन्य कई महत्वपूर्ण लोग उपस्थित थे.
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