उदित वाणी, जमशेदपुर: को-ऑपरेटिव कॉलेज के साइबर क्लब की ओर से गुरुवार को कॉलेज में “राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य और असामयिक युद्ध” विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें तीन मुख्य वक्ता थे. दो 1965 व 1971 युद्ध के गवाह, तो तीसरे साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में रूप में उपस्थित थे.
पहले वक्ता के रूप में एडमिरल रमन पुरी ने 1965 एवं 1971 के युद्ध की चर्चा करते हुए कई बातों से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि किसी भी युद्ध में वास्तविकता कुछ होती है और दिखाया कुछ और जाता है.
राष्ट्रीय सुरक्षा पर मौजूदा सरकार का विशेष ध्यान
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान देना हम सबकी जिम्मेदारी है. वर्तमान सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे रही है. इस कारण सैनिकों का मनोबल भी ऊंचा है. तभी तो बालाकोट जैसी लड़ाई को हमने लड़ा. राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान नहीं देंगे तो हमारा भी हाल पाकिस्तान जैसा हो जायेगा. हमने कभी अपना सोना गिरवी रखा था. सभी देश अपना हित देखते हैं,
हमें भी अपना हित देखना ही पड़ेगा. राष्ट्रीय सुरक्षा में सबसे जरूरी है आत्मनिर्भरता. उन्होंने कहा कि 75 साल के बाद मजबूत नेतृत्व के कारण देश के जन-गण का आत्मविश्वास जगा है. अब इस नेतृत्व को नेगेटिव करने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि हिंदुस्तान ताकतवर बन रहा है.
भारत को स्थाई और साहसी नेतृत्व की आवश्यकता : लेफ्टिनेंट वीके चतुर्वेदी
दूसरे वक्ता लेफ्टिनेंट वीके चतुर्वेदी ने भारत के निर्माण में युवाओं के योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भारत को शिखर पर पहुंचाने में युवाओं का योगदान अहम है. शताब्दी वर्ष तक भारत युवा रहेगा.
इस कारण विश्व भी भारत की तरफ देख रहा है. उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस और स्वामी विवेकानंद द्वारा युवा अवस्था में राष्ट्रीय भावना के साथ किए गए कार्यों के बारे में बताया. साथ ही हरेक युवा को इन महान विभूतियों द्वारा किए गए कार्यो को एक बार जरूर पढ़ने की सलाह दी.
उन्होंने कहा कि इसका अध्ययन करना चाहिए. आज भी नेताजी और विवेकानंद को लेकर रिसर्च हो रहे हैं. परंपरा ही अपनी पहचान है. हमें अपनी भाषा किसी भी कीमत पर नहीं छोड़नी चाहिए. वर्तमान में भारत को स्थाई और साहसी नेतृत्व की आवश्यकता है.
देश को 10 लाख साइबर सुरक्षा प्रहरियों की जरूरत : बालाजी वेंकटेश
तीसरे वक्ता साइबर विद्यापीठ फाउंडेशन के चीफ मेंटर बालाजी वेंकटेश ने साइबर सुरक्षा को लेकर कई बातें बताई. उन्होंने कहा कि देश को 10 लाख साइबर सुरक्षा प्रहरियों की जरूरत है, लेकिन कोई भी इस दिशा की ओर नहीं सोच रहा है. हमें इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना ही होगा.
वरना किसी भी क्षेत्र में साइबर हमला हो सकता है. अब तो ट्रेन एक्सीडेंट में भी साइबर हमला हो रहा है. राजनीतिक वर्चस्व को लेकर भी साइबर हमला हो रहा है. सोशल मीडिया इसका एक बड़ा उदाहरण है. साइबर वार के कारण सत्ता परिवर्तन तक हो रहे हैं.
इसे लेकर हमें सचेत रहता होगा. सेमिनार की अध्यक्षता जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्राचार्य डॉ अमर सिंह ने की. इस अवसर पर शहर के विभिन्न कॉलेजों के प्रिंसिपल व विद्यार्थी, को-ऑपरेटिव कॉलेज के विभिन्न विभाग के एचओडी तथा प्राध्यापक उपस्थित थे.
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