
उदित वाणी, जमशेदपुर : जमशेदपुर के मानगो थाना क्षेत्र के ओल्ड पुरुलिया रोड में उस वक्त हाई वोल्टेज फैमिली ड्रामा देखने को मिला, जब एक महिला को उसके ही घर में घुसने से रोक दिया गया। पीड़िता का आरोप है कि उसकी सगी ननद ने घर में ताला लगा दिया और उसे सड़क पर भटकने को मजबूर कर दिया। इस दौरान पुलिस की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में आ गई, जो सूचना देने के बावजूद मौके पर सिर्फ मूकदर्शक बनी रही।
महिला ने बताया कि वह कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गयी थी। उसके अनुपस्थिति में, उसकी सगी ननद ने न केवल घर में ताला लगा दिया, बल्कि सुरक्षा के लिए रखे गए गार्ड को भी भगा दिया। जब वह शनिवार को लौटी तो देखा कि न सिर्फ गार्ड गायब है, बल्कि घर पर दूसरा ताला जड़ दिया गया है।
महिला ने बताया कि यह संपत्ति उसके ससुर की है, जो अब कानूनी विवाद में फंसी हुई है। मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है। इसके बावजूद उसकी ननद ने जबरन कब्जा करते हुए उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया।
घटना की जानकारी महिला ने तत्काल स्थानीय मानगो थाने को दी, लेकिन पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पीड़िता का कहना है कि पुलिस मौके पर आई जरूर थी, लेकिन महज औपचारिकता निभाकर लौट गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने न तो दरवाजा खुलवाने की कोशिश की और न ही ननद से बातचीत कर कोई समाधान निकाला।
घटना के बाद महिला घर के बाहर चिलचिलाती धूप में सड़क पर बैठकर इंसाफ की गुहार लगाती रही। आसपास के लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई और मौके पर तमाशबीनों की भी संख्या बढ़ गई। लोगों ने भी पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए और कहा कि घरेलू विवाद होने के कारण पुलिस इसे हल्के में ले रही है।
मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने भी महिला के प्रति सहानुभूति जताई और कहा कि अदालत में मामला लंबित होने के बावजूद एक महिला को इस तरह से बेदखल करना निंदनीय है। लोगों ने मांग की कि प्रशासन को हस्तक्षेप कर त्वरित न्याय दिलाना चाहिए।
पीड़िता का कहना है कि वह अपने हिस्से की संपत्ति को लेकर कोर्ट का आदेश आने तक शांतिपूर्ण ढंग से रहना चाहती थी, लेकिन ननद ने उसे जान-बूझकर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना देने की मंशा से यह कदम उठाया है। महिला ने प्रशासन से अपील की है कि उसे कम से कम रहने के लिए घर में प्रवेश दिलाया जाए।
जब इस बारे में मानगो थाने से संपर्क किया गया तो एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए पुलिस किसी भी पक्ष के साथ सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए।
यह मामला न सिर्फ एक पारिवारिक विवाद को उजागर करता है, बल्कि इसमें पुलिस की निष्क्रियता और महिला के संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी भी सामने आती है। अब देखना होगा कि प्रशासन और न्यायपालिका इस मामले में कब और कैसे हस्तक्षेप कर पीड़िता को राहत दिलाती है।
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