
उदित वाणी, जमशेदपुर : झारखंड से बाल तस्करी की एक बड़ी साजिश का भंडाफोड़ हुआ है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की संयुक्त छापेमारी में टाटानगर होकर गुजरने वाली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और चक्रधरपुर मंडल के तहत आने वाली तांबरम एक्सप्रेस से कई नाबालिगों को मुक्त कराया गया। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इन किशोरों को मजदूरी के लिए जबरन दक्षिण भारत ले जाया जा रहा था।
रेल मंत्रालय को झारखंड स्थित एक क्षेत्रीय सामाजिक संगठन द्वारा ट्वीट के माध्यम से इस अवैध गतिविधि की सूचना दी गई थी। सूचना में कहा गया था कि विशाखापत्तनम की दिशा में बाल मजदूरों की तस्करी की जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मंत्रालय ने संबंधित ट्रेनों के पूरे रूट पर आरपीएफ और जीआरपी को अलर्ट मोड में डाल दिया।
चांडिल में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से तीन किशोर मुक्त
बुधवार को चांडिल रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के एस-3 कोच से तीन किशोरों को उतारा। इनमें दो की उम्र 15 वर्ष और एक की उम्र 16 वर्ष पाई गई। तीनों किशोर दो व्यक्तियों के साथ विशाखापत्तनम जा रहे थे।
चांडिल आरपीएफ थाना प्रभारी अजय तिवारी ने बताया कि किशोरों से प्रारंभिक पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि वे अपने मन से जा रहे थे और उनके चाचा विशाखापत्तनम में टाइल्स का काम करते हैं। हालांकि, आरंभिक जानकारी को अंतिम नहीं माना जा रहा और पूरी स्थिति की गहराई से जांच की जा रही है। किशोरों के साथ यात्रा कर रहे दोनों व्यक्तियों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
तांबरम एक्सप्रेस से पुरुलिया में एक और नाबालिग बरामद
इसी सिलसिले में पुरुलिया रेलवे स्टेशन पर भी तांबरम एक्सप्रेस में सवार एक अन्य नाबालिग को उतारा गया। सुरक्षा बलों ने उक्त किशोर से भी गहन पूछताछ शुरू कर दी है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वह किसके साथ और किस उद्देश्य से यात्रा कर रहा था। आशंका जताई जा रही है कि यह भी तस्करी का हिस्सा हो सकता है।
टाटानगर स्टेशन पर विशेष सतर्कता
टाटानगर स्टेशन पर आरपीएफ और जीआरपी की संयुक्त टीम पहले से ही सक्रिय दिखी। संयुक्त छापेमारी अभियान में रेल जीआरपी प्रभारी रामप्यारे राम, आरपीएफ प्रभारी राकेश मोहन, बागबेड़ा प्रभारी गोपाल कृष्ण यादव समेत कई अन्य अधिकारियों ने भाग लिया। स्टेशनों पर संदिग्ध यात्रियों पर विशेष नजर रखी जा रही है और बाहर से आने-जाने वाले किशोरों से पूछताछ की जा रही है।
गहराई से की जा रही गिरोह की जांच
प्रशासन इस बात की जांच में जुटा है कि इन किशोरों को किस माध्यम से दक्षिण भारत ले जाया जा रहा था और इसके पीछे कौन लोग हैं। रेलवे व सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि इसके पीछे कोई संगठित मानव तस्करी गिरोह सक्रिय है, जो गरीब व पिछड़े इलाकों से बच्चों को बहला-फुसलाकर मजदूरी के लिए दक्षिण भारत भेज रहा है।
रेल सुरक्षा बलों के मुताबिक, अब ट्रेनों में संदिग्ध यात्रियों की निगरानी और अधिक कड़ी कर दी गई है। किशोरों की पहचान और उनकी यात्रा की सत्यता की पुष्टि के बाद ही उन्हें यात्रा जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही विभिन्न स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरों की निगरानी, दस्तावेज़ों की जांच और इंटेलिजेंस फीडबैक पर आधारित कार्रवाई भी तेज कर दी गई है।
सामाजिक संगठनों की भूमिका भी महत्वपूर्ण
इस पूरी कार्रवाई में सामाजिक संगठनों की सतर्कता की भूमिका की भी सराहना की जा रही है। यदि ट्विटर के माध्यम से सूचना नहीं दी जाती, तो शायद ये किशोर विशाखापत्तनम पहुंच चुके होते और बाल मजदूरी के दलदल में फंस जाते।
प्रशासन की अपील
रेल प्रशासन व पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि यदि उन्हें ट्रेनों या रेलवे स्टेशनों पर किसी किशोर को अकेले या संदेहास्पद परिस्थितियों में यात्रा करते हुए देखें, तो तत्काल 139 हेल्पलाइन नंबर या निकटतम पुलिस स्टेशन को सूचित करें। इस प्रकार की सतर्कता बाल तस्करी की रोकथाम में एक बड़ा कदम हो सकती है।
इस संयुक्त कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि बाल तस्करी जैसी गंभीर समस्या को रोकने के लिए सतर्कता, सूचना साझाकरण और त्वरित कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है। हालांकि अभी पूरी जांच जारी है, लेकिन अब तक की कार्रवाई ने एक बड़ी साजिश को समय रहते विफल कर दिया है।
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