उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील में इस साल कंपनी के वीपी (कारपोरेट सर्विसेस) चाणक्य चौधरी ने झंडोत्तोलन किया. उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों के साथ ही शहरवासियों को 46 वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी. मौके पर कंपनी के विभिन्न विभागों की झांकियां भी निकली. चौधरी ने कहा कि टाटा स्टील के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. हमारी कंपनी जमशेदजी टाटा के दृष्टिकोण पर बनाई गई थी, जिनका मानना था कि उद्योग को राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए. उनका सपना सिर्फ इस्पात का उत्पादन करना नहीं था बल्कि एक बेहतर भारत का निर्माण करना था, जहां आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण साथ-साथ चलें. आज एक सदी से भी अधिक समय के बाद हम उस दृष्टिकोण को कायम रखते हुए औद्योगिक उत्कृष्टता को आगे बढ़ाते हुए जिन समुदायों की हम सेवा करते हैं, उनके प्रति गहराई से प्रतिबद्ध हैं.
लोगों को सशक्त बनाया टाटा स्टील ने
राष्ट्र निर्माण में टाटा स्टील की भूमिका सिर्फ स्टील का निर्माण नहीं है, बल्कि लोगों को सशक्त बनाना, स्थायी समाधान तैयार करना और समावेशी विकास को बढ़ावा देना है. हमारे प्रयास कई क्षेत्रों तक फैले हुए हैं मसलन शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरणीय स्थिरता, खेल और बुनियादी ढाँचा विकास. आइए हम अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें और समाज पर सार्थक प्रभाव डालने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करें.
विकास और नवप्रवर्तन की विरासत एक सदी से भी अधिक समय से टाटा स्टील भारत की औद्योगिक प्रगति के केंद्र में रही है. 1907 में जमशेदपुर में देश का पहला एकीकृत इस्पात संयंत्र स्थापित करने से लेकर दुनिया के सबसे सम्मानित इस्पात निर्माताओं में से एक बनने तक हमारी यात्रा को लचीलेपन, नवाचार और राष्ट्र-निर्माण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता द्वारा चिह्नित किया गया है. आज टाटा स्टील सिर्फ एक स्टील निर्माता से कहीं अधिक है. हम विकास के चालक, बुनियादी ढांचे के समर्थक और परिवर्तन के उत्प्रेरक हैं. हाल के वर्षों में हमने रणनीतिक विस्तार, परिचालन क्षमता और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में निवेश के साथ एक वैश्विक इस्पात बिजलीघर के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है.
टाटा स्टील कलिंगानगर में हमारे नए ब्लास्ट फर्नेस का चालू होना हमारी यात्रा में एक प्रमुख मील का पत्थर है. इस विस्तार से हमारी इस्पात निर्माण क्षमता बढ़ेगी और भारत की बढ़ती बुनियादी ढांचागत जरूरतों को पूरा करने की हमारी क्षमता बढ़ेगी. कलिंगानगर में चल रहा द्वितीय चरण का विस्तार लगातार प्रगति कर रहा है और एक बार पूरा होने पर यह हमारी कुल क्षमता 8 मिलियन टन प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगी, जो भारत के आर्थिक विकास में हमारी भूमिका को मजबूत करेगी.
डिजिटल परिवर्तन
हमने अपनी विकास रणनीति के मुख्य स्तंभ के रूप में डिजिटल परिवर्तन को अपनाया है. उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों, उन्नत विश्लेषण और स्वचालन को अपनाने से हमारे परिचालन को नया आकार मिल रहा है, जिससे वे अधिक कुशल, सुरक्षित और टिकाऊ बन रहे हैं. विनिर्माण लाइटहाउस के रूप में विश्व आर्थिक मंच की मान्यता डिजिटलीकरण में हमारे नेतृत्व और विनिर्माण उत्कृष्टता में वैश्विक मानक स्थापित करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है. जब हम अपनी सफलताओं का जश्न मनाते हैं, तो हम आगे आने वाली चुनौतियों को भी स्वीकार करते हैं. भारतीय इस्पात उद्योग एक जटिल और तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में काम करता है, जो वैश्विक बाजार के उतार-चढ़ाव, नियामक परिवर्तनों और बदलते भू-राजनीतिक गतिशीलता से आकार लेता है.
स्टील की मांग मजबूत बनी हुई है, लेकिन कच्चे माल की लागत और स्थिरता लक्ष्यों का प्रबंधन करते हुए लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना और रणनीतिक दूरदर्शिता की आवश्यकता होती है. हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का समय पर कार्यान्वयन है, जो हमारी विकास योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं. हमारी प्रतिस्पर्धी बढ़त को बनाए रखने के लिए कुशल लॉजिस्टिक्स और निर्बाध सहयोग आवश्यक है और हम इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अपने हितधारकों के साथ जुड़ना जारी रखते हैं. मौके पर टाटा स्टील की वीपी (एचआरएम) आत्रेयी सान्याल समेत टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारी मौजूद थे.
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