उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील को वर्ल्डस्टील द्वारा लगातार आठवें वर्ष स्टील सस्टेनेबिलिटी चैंपियन 2025 के रूप में सम्मानित किया गया है. यह सम्मान कंपनी की सतत विकास के प्रति गहरी प्रतिबद्धता और वैश्विक मानकों केप्रति उसके दृढ़ अनुपालन को दर्शाता है. वर्ष 2018 में इस पहल की शुरुआत से ही टाटा स्टील हर वर्ष यह उपाधि प्राप्त करती आ रही है. यह उपलब्धि इस्पात उद्योग में कंपनी की नेतृत्वकारी भूमिका, पर्यावरण अनुकूल पहलों और जिम्मेदार कारोबारी व्यवहार को और भी मजबूती से उजागर करती है. टाटा स्टील उन चुनिंदा इस्पात कंपनियों में शामिल है, जिन्हें सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित वर्ल्डस्टील की बोर्ड ऑफ मेंबर्स की स्पेशल जनरल मीटिंग (एसजीएम) में स्टील सस्टेनेबिलिटी चैंपियन 2025 के रूप में नामित किया गया.
टाटा स्टील के लिए गर्व की बात – नरेन्द्रन
सम्मान प्राप्त करने पर टाटा स्टील के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर टीवी नरेंद्रन ने कहा, “वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन द्वारा एक बार फिर स्टील सस्टेनेबिलिटी चैंपियन के रूप में चुना जाना हमारे लिए गर्व की बात है. यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि हम सस्टेनेबल स्टील मेकिंग की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं. हम अत्याधुनिक तकनीकों और ज़िम्मेदार कारोबारी नीतियों के माध्यम से पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और इस्पात निर्माण को अधिक हरित व सस्टेनेबल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य नवाचार को बढ़ावा देना, संसाधनों का अधिकतम और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना, और इस्पात उद्योग के लिए एक पर्यावरण-संवेदनशील एवं मजबूत भविष्य की नींव रखना है.”
इस सम्मान के लिए कड़े मानदंड
सस्टेनेबिलिटी चैंपियन बनने के लिए कंपनियों को कड़े मानदंडों को पूरा करना होता है, जिसमें वर्ल्डस्टील सस्टेनेबिलिटी चार्टर पर हस्ताक्षर करना और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी, सामाजिक प्रभाव तथा उत्कृष्ट संचालन (गवर्नेंस) के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्धता प्रदर्शित करना शामिल है.सस्टेनेबिलिटी चैंपियन के मूल्यांकन में कंपनियों के समग्र प्रदर्शन को कई महत्वपूर्ण मानकों के आधार पर परखा जाता है. इसमें सामग्री की दक्षता, पर्यावरण प्रबंधन प्रणालियों की मजबूती, कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं की दर में कमी, कर्मचारियों को दिया गया प्रशिक्षण, नवाचारी प्रक्रियाओं और उत्पादों में किया गया निवेश तथा आर्थिक मूल्य का संतुलित वितरण जैसे पहलू शामिल होते हैं. इसके अतिरिक्त कंपनियों को वर्ल्डस्टील के डेटा संग्रह कार्यक्रम के तहत लाइफ साइकिल इन्वेंटरी (एलसीआई) डेटा भी प्रस्तुत करना आवश्यक होता है, जो उनके संचालन की पारदर्शिता और दीर्घकालिक सस्टेनेबिलिटी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
लाइफ साइकिल असेसमेंट
टाटा स्टील, वर्ल्डस्टील के क्लाइमेट एक्शन कार्यक्रम की एक प्रमुख और सक्रिय भागीदार रही है, और इसे लगातार एक मान्यता प्राप्त क्लाइमेट एक्शन सदस्य के रूप में सम्मानित किया जाता रहा है. कंपनी ने लाइफ साइकिल असेसमेंट (एलसीए) के क्षेत्र में उल्लेखनीय विशेषज्ञता हासिल की है. यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण टूल है, जिसके माध्यम से उत्पादों के पूरे जीवनचक्र के दौरान कच्चे माल के खनन से लेकर उपयोग के बाद पुनर्चक्रण तक, उनके कार्बन उत्सर्जन का सटीक आकलन किया जाताहै. टाटा स्टील वर्षों से सीडीपी को वार्षिक रूप से जलवायु संबंधी जानकारिया सांझा करती आ रही है और 2023 में जलवायु प्रकटीकरण के लिए मजबूत ए रेटिंग प्राप्त की है. अपने सतत विकास प्रयासों के तहत टाटा स्टील ने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए कई अहम पहलें शुरू की हैं.
कार्बन बैंक की स्थापना
वित्त वर्ष 2024-25 में टाटा स्टील इंडिया ने कार्बन बैंक की स्थापना की . कार्बन डाईऑक्साइड का एक वर्चुअल भंडार, जो भारत में किसी भी कंपनी द्वारा अपनी तरह की पहली पहल है. कंपनी की योजना है कि इस भंडार का उपयोग करते हुए भविष्य में ग्राहकों को कम-कार्बन उत्पादों की पेशकश की जाए, जिसमें वर्ल्डस्टील की चेन ऑफ कस्टडी पद्धति का पालन किया जाएगा. वर्ष 2025 में टाटा स्टील, भारत की पहली इस्पात कंपनी बनी जिसने हाइड्रोजन के परिवहन के लिए स्टील पाइप विकसित करने की संपूर्ण क्षमता का प्रदर्शन किया. साथ ही टाटा स्टील उत्पादन प्रक्रिया में बायोचार का उपयोग करने वाली देश की पहली इस्पात निर्माता कंपनी भी बनी, जिसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना है. इससे पहले 2024 में, टाटा स्टील कच्चे माल की आपूर्ति के लिए बी 24 बायोफ्यूल पर पूर्ण क्षमता के साथ यात्रा (फुल लेडन लेग) करने वाली भारत की पहली स्टील कंपनी बनी थी.
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