उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में 554 करोड़ रूपए खर्च किया है. यह जानकारी कंपनी की ओर से जारी सालाना रिपोर्ट में दी गई है. रिपोर्ट के अनुसार किसी भी देश की आर्थिक प्रगति के लिए स्टील एक अहम हिस्सा है.
लेकिन स्टील बनाने की प्रक्रिया में होने वाले कार्बन उत्सर्जन का पर्यावरण पर खराब प्रभाव भी पड़ता है. जब कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता का लगातार विस्तार कर रही है, वैसे में कंपनी की यह भी कोशिश है कि पर्यावरण को होने वाली हानि को कम से कम किया जा सके.
इसी मकसद को ध्यान में रखते हुए टाटा स्टील ने अपने जमशेदपुर प्लांट में कई नई पर्यावरण पहल की है ताकि कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके. चूंकि यह प्लांट मदर प्लांट है और सबसे पुराना है तो इसे समय-समय पर अपग्रेड करना भी जरूरी होता है. इसी अपग्रेडेशन को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने मौजूदा कोक ओवन बैटरियों को बदला है.
बैटरी संख्या 5, 6 और 7 (संयुक्त एक मिलियन टन क्षमता)की जगह नई कोक ओवन बैटरी 6 ए और 5 बी को बनाई गई है, जिसमें नई टेक्नोलॉजी को शामिल किया गया है. इसमें नवीनतम प्रदूषण नियंत्रण उपकरण, उच्च ऊर्जा दक्षता और कम कार्बन उत्सर्जन की तकनीक और प्रोद्योगिकी लगाई गई हैं. प्राकृतिक प्रबंधन के लिए कंपनी नई तकनीक में ज्यादा से ज्यादा निवेश कर रही है.
कम कार्बन उत्सर्जन को लेकर रणनीति बनाने के साथ ही मीठे पानी पर निर्भरता कम करना, प्रदूषण नियंत्रण और
कचरे से अधिकतम मूल्य प्राप्त करना कंपनी का मकसद है. रिपोर्ट के अनुसार जैव विविधता को बढ़ाना और मूल्य श्रृंखला को बरकरार रखने के लिए कंपनी कई नई पहल कर रही है.
कंपनी ने वेस्ट को कम करने के लिए रिसाइक्लिंग पर जोर दिया है और कोशिश है कि नई तकनीक अपनाकर स्क्रैप का बेहतर उपयोग किया जा सके. पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली आईएसओ 14001:2015 के अनुसार वायु उत्सर्जन में सुधार, कार्बन डाइऑक्साइड को कम करना, जल प्रबंधन और परिपत्र अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को अपनाया जा रहा है.
यही नहीं हमारी कोशिश है कि प्लांट से होने वाले वायु उत्सर्जन का असर आसपास और समुदाय पर नहीं हो. हमने ऐसी तकनीक अपनाई है, जिससे कार्बन को कैप्चर किया जा सकता है. इन तकनीक को अपनाकर पिछले पांच साल में धूलकण में 29 फीसदी की कमी हुई है.
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