निर्माण क्षेत्र में छाई मंदी, लाखों लोग हुए बेरोजगार
उदित वाणी, जमशेदपुर: लौहनगरी समेत पूरे झारखंड में निर्माण क्षेत्र में मंदी छाई हुई है. बालू के इस्तेमाल से होनेवाले तमाम तरह के निर्माण कार्य ठप हो चुके हैं. कारण कि कहीं पर भी बालू मिल नहीं रहा. अव्वल तो यह कि वालू संकट और गहरा गया है. इसका सीधा असर विकास कार्यों पर भी पड़ रहा. काम ठप हो जाने से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं.
बालू के साथ गिट्टी का संकट कायम होने का प्रमुख कारण यह है कि एक ओर राज्य सरकार के द्वारा बालू को लेकर स्पष्ट खनन नीति नहीं बनाई गई है तो दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशायलय (ईडी) की कार्रवाई के बाद राज्य सरकार की छवि सुधारने के लिए सभी जिलों में अवैध खनन के खिलाफ कारवाई की जा रही है.
इसी का परिणाम है कि पहले जिस भी तरीके से चोरी छिपे बालू मिल जा रहा था, अब मिलना पूरी तरह से बंद हो चुका है. पहले पड़ोसी राज्य बंगाल, ओडिशा और छतीसगढ़ से चोरी छिपे बालू लाया जा रहा था. प्रशासन द्वारा लगातार कारवाई करने की वजह से बालू का आना पूरी तरह से बंद हो चुका है.
डीजल की बिक्री पर भी असर
बालू की कमी से निर्माण कार्य ठप हो गए हैं, जिसका असर डीजल की बिक्री पर भी पड़ा है. निर्माण से जुड़े वाहन मालिकों के मुताबिक बालू उठाव नहीं होने व निर्माण कार्य बंद हो जाने से कोल्हान में लगभग 6000 छोटे-बड़े टेंपो, ट्रैक्टर, ट्रक, डंपर नहीं चल रहे हैं. ढलाई की मिक्सर मशीन से लेकर क्रशर मशीन तक में डीजल की खपत होती थी.
झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव राजीव सिंह बताते हैं कि पूरे कोल्हान में 242 पेट्रोल पंप हैं. एक पेट्रोल से हर दिन करीब आठ हजार लीटर डीजल की बिक्री होती है, जिसमें लगभग 25 प्रतिशत की कमी आ गई है. मौजूदा कीमत के हिसाब से लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का नुकसान डीजल की बिक्री से हर दिन हो रहा है.
अधिकतर वाहन मालिक हो जाएंगे डिफाल्टर
वाहन मालिकों ने बताया कि कोल्हान में निर्माण कार्य से जुड़ी करीब छह हजार गाडिय़ां चल रही थीं, अब ये वाहन मालिक डिफाल्टर हो जाएंगे क्योंकि वाहन लोन को समय से चुका नहीं सकेंगे. करीब एक चौथाई मालिकों ने हाल ही में डंपर-ट्रक लिए हैं, जबकि तीन चौथाई ने आधी से ज्यादा किस्त चुका दी है.
जब उनकी गाडिय़ां ही नहीं चलेंगी, तो बैंक की किस्त कहां से देंगे. हर वाहन पर ड्राइवर-खलासी समेत कम से कम छह मजदूर लगते हैं, उनका वेतन कहां से आएगा?
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