नारायणपुर: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सुरक्षाबलों ने एक बड़ी और निर्णायक कार्रवाई करते हुए 26 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया है. यह मुठभेड़ कोंडागांव के अबूझमाड़ जंगलों में बुधवार को हुई. हालांकि इस अभियान में एक जवान शहीद हो गया, जबकि एक अन्य घायल हुआ है. राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए इसे सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता बताया. उन्होंने कहा कि मारे गए नक्सलियों में कई बड़े और वांछित कमांडर भी शामिल हैं. क्षेत्र में अब भी तलाशी अभियान जारी है.
एक करोड़ का इनामी वसवा राजू भी ढेर
मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में एक करोड़ रुपये का इनामी नम्बाला केशवराव उर्फ वसवा राजू भी शामिल बताया जा रहा है. वह नारायणपुर और बीजापुर क्षेत्र का कुख्यात नक्सली था. हालांकि, उसकी मौत की औपचारिक पुष्टि अब तक नहीं की गई है. माना जा रहा है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है.
बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद
सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और संचार उपकरण बरामद किए हैं. इन बरामद वस्तुओं से यह संकेत मिलता है कि नक्सली किसी बड़ी साजिश की तैयारी में थे.
सरकार का दावा: 2026 तक बस्तर होगा नक्सल मुक्त
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इस सफलता पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य की डबल इंजन सरकार नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए कृतसंकल्प है. उन्होंने कहा कि हमारे सुरक्षा बल दुर्गम और चुनौतीपूर्ण इलाकों में जाकर नक्सलियों का सफाया कर रहे हैं. नारायणपुर की यह सफलता उसी रणनीति का हिस्सा है. उन्होंने विश्वास जताया कि बस्तर मार्च 2026 तक पूरी तरह नक्सल मुक्त हो जाएगा.
पहले भी हो चुकी है निर्णायक कार्रवाई
इससे पूर्व कर्रेगुट्टा पहाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए संयुक्त अभियान में 31 नक्सलियों को मारा गया था. उस समय भी भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए थे.
नक्सल विरोधी अभियान में आई गति
सीआरपीएफ के महानिदेशक ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान की शुरुआत 2014 में हुई थी, लेकिन 2019 के बाद से अभियान को विशेष रणनीतिक बल मिला है. उन्होंने बताया कि देशभर में जवानों के लिए संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, जिससे उनकी सामरिक क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 2014 में जहाँ 35 जिले नक्सली गतिविधियों के गढ़ थे, वहीं अब यह संख्या घटकर केवल 6 जिलों तक सीमित रह गई है. यह गिरावट सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के समन्वित प्रयासों का परिणाम है.
(IANS)
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