उदित वाणी, रांची : झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने सड़क दुर्घटना के एक मामले में अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया. जिसमें बिना रजिष्ट्रेशन नंबर की पुलिस की बोलेरो की टक्कर से दो युवकों की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी और मामले में ट्रिब्यूनल द्वारा दिये गये मुआवजे के आदेश को चुनौती दी गई थी. अदालत ने ट्रिब्यूनल के आदेश को सही ठहराया. जबकि मामले में ट्रिब्यूनल ने पुलिस विभाग को दुर्धटना का जिम्मेदार मानते हुए प्रत्येक पीड़ित परिवार को साढ़े सात प्रतिशत ब्याज के साथ 3 लाख 48 हजार 880 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था.
राज्य सरकार की ओर से इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया था कि बोलेरो तेज और लापरवाही से नहीं चलाया गया था. इसमें पूरी तरह से पुलिस वाहन की गलती नहीं थी. यह दुर्घटना 11 जुलाई 2013 को खूंटी जिले के पास हुई थी. बिना रजिस्ट्रेशन नंबर की पुलिस की बोलेरो ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी. जिसमें दो युवकों अमित आईंद 18 बर्ष और रोशन गुड़िया 22 बर्ष की जान चली गई थी. इस मामले को दो अलग-अलग मोटर दुर्घटना दावा याचिकाओं के माध्यम से ट्रिब्यूनल के समक्ष लाया गया था.
ऐसे मामलों में सरकार को पीड़ितों को राहत देने के लिए स्पष्ट नीति बनाने का भी दिया निर्देश
जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने मामले में अपने आदेश में रेखांकित करते हुए कि जब वाहन पुलिस विभाग का था और उसका चालक ड्यूटी पर था, तो राज्य सरकार उसकी लापरवाही के लिए उत्तरदायी है. अदालत ने ब्रिटिश और भारतीय कानून के विभिन्न उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी मालिक अपने कर्मचारी की सेवा में की गई लापरवाही के लिए उत्तरदायी होता है. अदालत ने यह भी टिप्पणी की है कि ऐसे मामलों में वेलफेयर स्टेट की भूमिका अहम है और सरकार को पीड़ितों को राहत देने के लिए स्पष्ट नीति बनानी चाहिए. मामले में अदालत ने दोनों अपीलों को खारिज करते हुए ट्रिब्यूनल के आदेश को सही ठहराया और आदेश की प्रति राज्य सरकार के मुख्यसचिव को भी भेजने का निर्देश दिया. ताकि सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित मामलों में न्यायसंगत नीति पर विचार किया जा सके.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।