उदित वाणी, पटमदा : पटमदा के कमलपुर थाना क्षेत्र स्थित ओड़िया पंचायत मंडप के पास मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे हुए एक सड़क हादसे में बाइक सवार दो युवकों की मौत हो गई. मृतकों में कांकू निवासी संदीप सिंह (30 वर्ष) की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि उसके रिश्तेदार बंगाल के बोरों थाना क्षेत्र के हेंसला गांव निवासी राजेश सिंह (22 वर्ष) की मौत इलाज के लिए बांकुड़ा अस्पताल ले जाते समय रास्ते में हो गई.
रोज़ कमाकर खाने वाले थे दोनों
स्थानीय जिला परिषद सदस्य हंसेश्वर महतो ने बताया कि राजेश सिंह की मृत्यु अत्यंत दुखद है. उन्होंने पीड़ित परिवार को नियमानुसार मुआवजा दिलाने का आश्वासन भी दिया. संदीप सिंह, जो हेंसला गांव में ही रहता था, मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पालन करता था. उसके परिवार में पत्नी और तीन वर्षीय पुत्र हैं, जबकि माता-पिता और भाई कांकू गांव में रहते हैं. वह तीन भाइयों में मंझला था और जमशेदपुर में मजदूरी करता था.
कैसे हुआ हादसा?
संतीप और राजेश बस से काटिन बाजार तक आए थे और वहां से बाइक से हेंसला लौट रहे थे. रास्ते में एक तेज रफ्तार हाइवा की चपेट में आकर दोनों की जान चली गई.
सड़क पर उतरे ग्रामीण, मुआवजे की मांग
शाम साढ़े सात बजे तक घटनास्थल पर सैकड़ों ग्रामीण जमा रहे. उन्होंने मृतकों के परिवार को उचित मुआवजा देने और बांकुड़ा निवासी हाइवा मालिक को मौके पर बुलाने की मांग की.
क्या दिन में हाइवा चलाने की थी अनुमति?
स्थानीय युवक भैरव महतो ने बताया कि करीब तीन महीने पूर्व अंचलाधिकारी के साथ बैठक में दिन में हाइवा के परिचालन पर रोक का निर्णय हुआ था. ऐसे में सवाल उठता है कि फिर दिन में हाइवा कैसे चल रहा था? बताया गया कि हाइवा बांकुड़ा से एक क्रशर प्लांट में गिट्टी लेने आ रहा था.
इंश्योरेंस और फिटनेस पर भी सवाल
घटना के वक्त की गई ऑनलाइन जांच में सामने आया कि हाइवा का इंश्योरेंस और फिटनेस फेल हो चुका था. शाम 4 बजे के बाद जब दोबारा जांच की गई तो दस्तावेज़ अपडेट मिल गए, जिससे संदेह और बढ़ गया.
प्रशासन से तीखी बहस
घटनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से ग्रामीणों की तीखी बहस हुई. लोगों ने प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े किए. शाम तक संदीप का शव कांकिडीह-दांदूडीह मुख्य सड़क पर पड़ा रहा, वहीं हाइवा और बाइक भी वहीं मौजूद थे.
हादसे के पीछे खनन क्षेत्र की भूमिका?
गौरतलब है कि पटमदा प्रखंड की ओड़िया और बनकुंचिया पंचायत में एक दर्जन से अधिक पत्थर खदानें और क्रशर प्लांट हैं. हर दिन भारी संख्या में हाइवा जैसे वाहन यहां चलते हैं. लोग जान जोखिम में डालकर इन सड़कों पर चलने को मजबूर हैं.
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