उदित वाणी, झारखंड: बोकारो जिले के ललपनिया स्थित लुगू पहाड़ी क्षेत्र में सोमवार सुबह हुई मुठभेड़ में एक करोड़ के इनामी भाकपा (माओवादी) कमांडर प्रयाग मांझी समेत आठ नक्सली मारे गए. प्रयाग मांझी भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था और झारखंड, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की 100 से अधिक घटनाओं में वांछित था. मुठभेड़ सुबह 5:30 बजे शुरू हुई और रिपोर्ट लिखे जाने तक (सुबह 10 बजे) रुक-रुक कर गोलीबारी जारी थी. मारे गए नक्सलियों की संख्या बढ़ सकती है. ऑपरेशन में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन 209 और झारखंड पुलिस की संयुक्त टीम शामिल है. मुठभेड़ स्थल से एक एसएलआर और एक इंसास राइफल बरामद की गई है. जवानों को किसी तरह की क्षति की खबर नहीं है.
प्रयाग मांझी का आपराधिक इतिहास और पहचान
प्रयाग मांझी को माओवादी संगठन में विवेक दा, फुचना, नागो मांझी और करण दा जैसे नामों से जाना जाता था. वह मूल रूप से धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड के दलबुढ़ा गांव का रहने वाला था. हाल के महीनों में वह गिरिडीह की पारसनाथ पहाड़ियों और उसके आसपास सक्रिय था. अकेले गिरिडीह में ही वह 50 से अधिक मामलों में वांछित था. उसकी गिरफ्तारी या मारे जाने पर झारखंड सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था.
सुरक्षाबलों की कार्रवाई और मुठभेड़ का घटनाक्रम
सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस की संयुक्त टीम लुगू पहाड़ के जंगलों में सर्च ऑपरेशन के लिए गई थी. इस दौरान नक्सलियों ने घात लगाकर गोलीबारी शुरू कर दी. सुरक्षाबलों ने भी मोर्चा संभाला और जवाबी फायरिंग की. मुठभेड़ में पहले चार नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि हुई थी, लेकिन बाद में यह संख्या आठ तक पहुंच गई. ऑपरेशन में सीआरपीएफ की 209 कोबरा बटालियन प्रमुख भूमिका में है.
झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ जारी है मुहिम
झारखंड पुलिस ने वर्ष 2025 को राज्य को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है. इस वर्ष अब तक मुठभेड़ों में 13 नक्सली मारे जा चुके हैं. वर्ष 2024 के दौरान पुलिस ने 244 नक्सलियों को गिरफ्तार किया था और 24 ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें कई शीर्ष स्तर के कमांडर भी शामिल थे. पुलिस और सुरक्षाबलों की इस सख्त कार्रवाई को राज्य में शांति बहाली की दिशा में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.
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