उदित वाणी, रांची : निवर्तमान राज्य निर्वाचन आयुक्त डा डी के तिवारी का कार्यकाल 24 मार्च को ही समाप्त हो गया है. इसके बाद से ही यह पद रिक्त होने की वजह से शहरी निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया बंद हो गयी है. उधर पिछड़ा वर्ग के लिए राज्य आयोग के अध्यक्ष का पद भी लगभग छह माह से रिक्त है और रांची जिला द्वारा ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट अब तक आयोग को नहीं सौंपी गई है. जबकि ट्रिपल टेस्ट की पूरे जिलों की रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग को भी रिपोर्ट तैयार करने में समय लगेगा.
वहीं इस सप्ताह के अंतिम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यूरोप दौरे से लौटेंगे और उनके रांची लौटने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयुक्त व पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति संभव है. जबकि राज्य सरकार द्वारा नगर निकाय चुनाव कराने के लिए झारखंड उच्च न्यायालय को चार माह का समय दिया गया है और चार महीने का समय 16 मई को पूरा हो जायेगा. मौजूदा परिस्थितियों में यह लगभग तय हो गया है कि उक्त अवधि में नगर निकाय चुनाव कराया जाना संभव नहीं होगा. ऐसे में राज्य सरकार न्यायालय से चुनाव कराने के लिए और समय मांग सकती है.
गौरतलब है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त व पिछड़ा वर्ग आयागे के अध्यक्ष का पद खाली होने का सीधा असर नगर निकाय चुनाव की तैयारियों पर पड़ रहा है. आयोग को जिलों से चुनाव पूर्व तैयारियों के आलोक में दिये गये निर्देशों के अनुपालन की सूचना नहीं मिल रही है. जिलों में की जा रही तैयारियों की समीक्षा भी नहीं हो पा रही है. उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य में शहरी निकायों का चुनाव कराने के पूर्व की प्रक्रिया संपादित की जा रही थी. यद्यपि चुनाव आयोग से मतदाता सूची को लेकर उसे स्थानीय निकायों की सीमा के आलोक में तैयार कर लिया गया है. जिला मुख्यालयों से मतदाता सूची का प्रकाशन भी कर दिया गया है.
पांच बर्षों से लंबित है शहरी निकायों का चुनाव
राज्य के 13 नगर निकायों में बर्ष 2020 और अन्य 35 शहरी निकायों का कार्यकाल बर्ष 2023 के मार्च-अप्रैल माह में ही समाप्त हो गया है. जबकि संविधान के 74वें संशोधन में शहरी निकायों में चुनाव नहीं कराना स्थानीय निकायों को कमजोर करना माना गया है और निकायों का चुनाव नहीं होने से राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. चुनाव में हो रही देरी के कारण वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने राज्य को दिये जानेवाले अनुदान पर रोक लगा दी है. शहरी निकायों के विकास के लिए आयोग से लगभग 1600 करोड़ रुपये पर झारखंड का दावा है.
दो से अधिक बच्चोंवाले उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक के मामले में हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
उधर झारखंड हाईकोर्ट ने नगरपालिका चुनाव नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है. हाईकोर्ट में दो से अधिक बच्चोंवाले उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक के प्रावधान को हटाने को लेकर याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व प्रभाव से लागू किए गये इस प्रावधान को असंवैधानिक बताया गया है. मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए नियम को संविधान के अनुरूप नहीं होना बताया है. मुख्य न्ययाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है.
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