उदित वाणी, जमशेदपुर: तारापुर स्कूल में 15 से 17 अप्रैल 2025 के बीच मानसिक स्वास्थ्य, सकारात्मक अभिभावकता और प्रभावी अध्ययन रणनीतियों पर केंद्रित एक समग्र कार्यशाला आयोजित की गई. यह तीन दिवसीय आयोजन स्कूल समुदाय के भीतर भावनात्मक सशक्तिकरण और जीवन मूल्यों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया गया था.
उम्मीद संस्था की निदेशक सलोनी प्रिया रहीं मुख्य वक्ता
कार्यशाला का संचालन कोलकाता स्थित ‘उम्मीद काउंसलिंग एंड कंसल्टिंग सर्विसेज’ की संस्थापक निदेशक और सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सलोनी प्रिया ने किया. शिक्षा प्रबंधन, छात्र सशक्तिकरण और मानवीय विकास के क्षेत्र में 24 वर्षों से अधिक अनुभव रखने वाली प्रिया ने देशभर में कई संस्थाओं और समुदायों के साथ कार्य किया है. वे ‘उम्मीद फाउंडेशन’ की ट्रस्टी भी हैं, जो वंचित बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं पर केंद्रित है.
शिक्षकों को मिला सहयोगात्मक कक्षा का दृष्टिकोण
शिक्षकों को कक्षा में स्वीकृति, संरचित चिंतन और योजना आधारित शिक्षण का मार्गदर्शन दिया गया. उन्होंने यह भी जाना कि बच्चे कैसे अनुकरण, भिन्नता, अनुभव और सहयोग से सीखते हैं. इस दौरान इनोवेटिव तरीकों जैसे रिवॉर्ड स्टिकर्स, विज़न बोर्ड, और मौखिक व श्रवण कौशल को बढ़ाने वाले अभ्यासों पर भी चर्चा हुई.
अभिभावकों के लिए थे उपयोगी जीवन-संवाद
अभिभावकों के लिए आयोजित सत्रों में किशोरों के व्यवहार, भावनात्मक उतार-चढ़ाव, और माता-पिता-बच्चे के संबंधों को सुदृढ़ करने के उपायों पर विचार साझा किए गए. प्रतिभागियों को स्वयं की देखभाल, कृतज्ञता और सहानुभूति को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही, न्याय और नियंत्रण की प्रवृत्ति से दूर रहने की सीख दी गई.
विद्यार्थियों के लिए याददाश्त और लक्ष्य निर्धारण के व्यावहारिक सत्र
छात्रों के लिए खासतौर पर ऐसे इंटरऐक्टिव सत्र रखे गए जिनमें उन्होंने जाना कि हम चीजें क्यों भूलते हैं और मेमोरी बढ़ाने के लिए म्यूमोनिक्स व स्टोरीटेलिंग जैसी तकनीकों का कैसे उपयोग किया जा सकता है. उन्हें अपने लघु और दीर्घकालिक लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार करने के अभ्यास भी कराए गए, जिससे उनके भीतर ग्रोथ माइंडसेट का विकास हुआ. यह सत्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की विद्यार्थी-केंद्रित अवधारणाओं के अनुरूप था.
शिक्षा की समग्रता की दिशा में सार्थक पहल
यह आयोजन तारापुर स्कूल की उस प्रतिबद्धता को और बल देता है, जो भावनात्मक लचीलापन, समावेशी शिक्षा और आजीवन सीखने के प्रति स्पष्ट है. इस प्रकार की पहलें न केवल विद्यार्थियों और शिक्षकों को मजबूत बनाती हैं, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल सिद्धांतों—समता, भलाई और अनुभवजन्य शिक्षा को भी वास्तविक रूप में समाज के सामने लाती हैं.
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