रांची: रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के निदेशक डॉ. राजकुमार को झारखंड सरकार ने गुरुवार देर रात पद से हटा दिया. इस आदेश पर विवाद उठ खड़ा हुआ है. स्वास्थ्य मंत्री और रिम्स शासी परिषद के अध्यक्ष इरफान अंसारी के नेतृत्व में जारी इस आदेश को लेकर डॉ. राजकुमार ने हैरानी जताई है और इसे ऑटोक्रेसी करार दिया है.
बाबूलाल मरांडी ने उठाया भ्रष्टाचार का आरोप
झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि डॉ. राजकुमार को मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के भ्रष्टाचार का विरोध करने की सजा दी गई है. उन्होंने कहा, “डॉ. राजकुमार को रिम्स निदेशक पद से हटाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. यह सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने विभागीय अधिकारियों के अनुचित भुगतान के आदेश को नहीं माना और भ्रष्टाचार का विरोध किया.”
शासी परिषद की बैठक में उठे थे विवादित मुद्दे
बताया जाता है कि 15 अप्रैल को रिम्स शासी परिषद की 59वीं बैठक में स्वास्थ्य मंत्री और रिम्स निदेशक के बीच कुछ मुद्दों पर कड़ी बहस हुई थी. इसके बाद कई महत्वपूर्ण एजेंडों पर निर्णय नहीं लिया जा सका था. डॉ. राजकुमार का कहना था कि यदि उन्हें इस्तीफा देना ही था तो उसे बैठक में ही मांग लिया जाना चाहिए था.
क्या था मंत्री का दबाव?
मरांडी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि शासी परिषद की बैठक में प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटरों को बिना अनुबंध के करोड़ों रुपए का भुगतान करने का दबाव स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय सचिव द्वारा रिम्स निदेशक पर डाला गया था. डॉ. राजकुमार ने इस दबाव को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था, और परिणामस्वरूप उन्हें उनके पद से हटा दिया गया.
पूर्व मंत्री सरयू राय का भी बयान
जमशेदपुर पश्चिमी के जदयू विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि डॉ. राजकुमार के खिलाफ कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने रिम्स शासी परिषद की बैठक में गलत भुगतान को नकारा और सरकार के आदेश के खिलाफ आवाज उठाई.
(IANS)
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