नई दिल्ली: भारत में कच्चे रेशम के उत्पादन में बीते छह वर्षों के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. वित्त वर्ष 2023-24 में यह उत्पादन बढ़कर 38,913 मीट्रिक टन हो गया, जबकि वर्ष 2017-18 में यह 31,906 मीट्रिक टन था.शहतूत के बागानों का विस्तार इस बढ़ोतरी की एक मुख्य वजह रहा. इनका क्षेत्रफल 2017-18 में 2,23,926 हेक्टेयर से बढ़कर 2023-24 में 2,63,352 हेक्टेयर तक पहुंच गया. इसके फलस्वरूप, शहतूत रेशम का उत्पादन 22,066 मीट्रिक टन से बढ़कर 29,892 मीट्रिक टन हो गया.
रेशम निर्यात में भी बढ़त, वैश्विक मांग से मिला संबल
भारत ने 2023-24 में रेशम और उससे बने उत्पादों का 2,027.56 करोड़ रुपये का निर्यात किया, जो कि 2017-18 के 1,649.48 करोड़ रुपये के आंकड़े से काफी अधिक है.इसके अतिरिक्त, 3,348 मीट्रिक टन रेशम वेस्ट का निर्यात भी दर्ज किया गया, जो भारत की रेशम उद्योग में बढ़ती वैश्विक पकड़ का संकेत है.
झारखंड के लिए सुनहरा अवसर: गैर-शहतूत रेशम की अहम भूमिका
भारत में शहतूत रेशम का उत्पादन मुख्यतः कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल में होता है. लेकिन गैर-शहतूत रेशम, जिसे वान्या रेशम भी कहा जाता है, का गढ़ झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तर-पूर्वी राज्यों को माना जाता है.यह रेशम प्राकृतिक, मजबूत और पर्यावरण के अनुकूल होता है. यह झारखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लिए आय, रोजगार और महिला सशक्तिकरण का माध्यम बन सकता है.
‘रेशम समग्र’ और ‘रेशम समग्र-2’: ग्रामीण भारत को सशक्त करने की पहल
भारत सरकार की ‘रेशम समग्र’ योजना ने देश में रेशम उत्पादन को नई दिशा दी है. इसके विस्तार ‘रेशम समग्र-2’ के लिए 2021-26 तक कुल 4,679.85 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.अब तक 1,075.58 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता दी जा चुकी है, जिससे 78,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है.इस योजना के अंतर्गत आंध्र प्रदेश (72.50 करोड़) और तेलंगाना (40.66 करोड़) को उल्लेखनीय वित्तीय सहायता दी गई है.
क्या झारखंड ले पाएगा इस अवसर का लाभ?
झारखंड में रेशम उत्पादन की समृद्ध परंपरा और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है. जरूरत है, तो केवल प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और योजनाओं के कुशल क्रियान्वयन की.यदि झारखंड सरकार और स्थानीय संस्थाएं ‘रेशम समग्र-2’ जैसी योजनाओं का प्रभावी उपयोग करें, तो राज्य रेशम निर्यात का एक नया केंद्र बन सकता है और हजारों ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकता है.
(आईएएनएस)
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