रांची: झारखंड के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और झामुमो नेता हफीजुल हसन अंसारी के एक बयान ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है. अंसारी ने एक सार्वजनिक मंच से शरीयत को संविधान से ऊपर बताया. उनके शब्दों में,
“हम कुरान सीने में रखते हैं और हाथ में संविधान. पहले शरीयत को पकड़ेंगे, फिर संविधान… मेरा इस्लाम यही कहता है.”
इस बयान के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन पर विपक्ष का तीखा हमला शुरू हो गया है.
भाजपा ने की मंत्री को बर्खास्त करने की मांग
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अंसारी के इस बयान को “कट्टरपंथी सोच और इस्लामिक एजेंडे की अभिव्यक्ति” करार दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री गरीब, दलित और आदिवासियों के नाम पर वोट लेते हैं और सत्ता में आकर केवल अपनी कौम की वकालत करते हैं.मरांडी ने कहा, “हफीजुल की सोच संथाल परगना की सांस्कृतिक पहचान और आदिवासी अस्मिता के लिए खतरा बन चुकी है. यदि कांग्रेस और झामुमो सच में संविधान के प्रति निष्ठावान हैं, तो उन्हें मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए.”
संविधान दिवस पर विवाद, विपक्ष ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री और रांची के सांसद संजय सेठ ने बयान को “लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया. उन्होंने कहा कि जब देश संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती मना रहा है, उसी दिन झारखंड के मंत्री संविधान से ऊपर शरिया की बात कर रहे हैं. सेठ ने दो टूक कहा, “कोई भी कानून, व्यक्ति या व्यवस्था भारत के संविधान से ऊपर नहीं हो सकती.”
सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर साझा किया वीडियो
गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अंसारी के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, “यह हैं झारखंड सरकार के मंत्री. इनके लिए मुस्लिम संविधान पहले, भारतीय संविधान बाद में.” उन्होंने यह भी तंज कसा कि “इंडी गठबंधन के नेता होने के कारण मुख्यधारा की मीडिया इस पर मौन है.”
राजनीतिक हलकों में गूंज, संवैधानिक विमर्श को लेकर बहस
अंसारी के इस बयान ने झारखंड की सियासत में नए सिरे से संविधान बनाम धार्मिक कानून की बहस छेड़ दी है. यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस नेतृत्व इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं.
(आईएएनएस)
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