उदित वाणी, रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दो दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन के उद्घाटन सत्र में जोरदार भाषण देते हुए विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. यह अधिवेशन संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के दिन शुरू हुआ.
“2019 में शोषणकारी सत्ता को किया गया बेदखल”
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड की आदिवासी, मूलवासी, दलित, शोषित और वंचित जनता ने वर्ष 2019 में डबल इंजन की सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया. उन्होंने कहा कि गुरुजी (शिबू सोरेन) का लगाया गया पौधा अब एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है, जो जनआस्था का प्रतीक है.
“राज्य गठन के बाद भी जारी रहा उत्पीड़न”
हेमंत सोरेन ने जोर देते हुए कहा कि राज्य बनने के बावजूद यहां के मूल निवासियों का लगातार शोषण होता रहा. जिनके लिए राज्य बना, वही सबसे ज्यादा वंचित और पीड़ित रहे. सत्ता पर ऐसे लोगों का कब्जा हो गया जिन्हें झारखंडी अस्मिता से कोई सरोकार नहीं था.
आज आदरणीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी की अध्यक्षता में रांची में आयोजित झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के 13वें महाधिवेशन कार्यक्रम में शामिल हुआ। इस दो दिवसीय महाधिवेशन में शामिल झामुमो परिवार के सभी कर्मठ कार्यकर्ताओं और जुझारू सिपाहियों को हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार। pic.twitter.com/clhodNagFz
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) April 14, 2025
“महागठबंधन सरकार को मिटाने की हुई कोशिश”
मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि जब 2019 में झामुमो, कांग्रेस और राजद के गठबंधन वाली सरकार बनी, तो उसे कमजोर करने के हरसंभव प्रयास किए गए. मगर उनकी “अबुआ सरकार” ने झुकने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह सरकार जनता के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रही है.
“अबुआ सरकार दे रही है अधिकार और सम्मान”
हेमंत सोरेन ने दोहराया कि उनकी सरकार आदिवासियों, मूलवासियों और किसानों को उनका संवैधानिक अधिकार दे रही है. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों ने झारखंड के किसानों और आदिवासियों को आत्महत्या की कगार पर ला खड़ा किया था.
“यह सिर्फ महाधिवेशन नहीं, जनसंकल्प का मंच है”
मुख्यमंत्री ने उपस्थित कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे इस मंच से आने वाले संघर्षों के लिए संगठित हों. उन्होंने स्पष्ट किया कि झारखंड अब जागरूक है और उसके हक की लड़ाई अब और तेज़ होगी.
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