उदित वाणी, जमशेदपुर: बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अंतर्गत गिध्दी झोपड़ी स्थित फिल्टर प्लांट का निरीक्षण बागबेड़ा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा जिला मुख्यालय प्रभारी सुबोध झा के नेतृत्व में किया गया. निरीक्षण में चौंकाने वाली स्थिति सामने आई – प्लांट का मुख्य द्वार बंद मिला, निर्माण कार्य पूरी तरह ठप है, और चारों ओर झाड़ियों ने परिसर को घेर लिया है.
निर्माण कार्य अधूरा, उपकरण खुले में पड़े
पानी टंकियों का कार्य अधूरा है और पहले से बने टांकों में दरारें आ रही हैं. ट्रांसफार्मर खुले में पड़े-पड़े खराब हो रहे हैं और फिल्टर प्लांट के लिए लाए गए उपकरण भी बाहर फेंके हुए हैं. परिसर के बगल में बने रूम भी जर्जर हो चुके हैं.
भ्रष्टाचार पर गंभीर आरोप
सुबोध झा ने आरोप लगाया कि 237.21 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी एक बूंद पानी जनता को नसीब नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि समिति के आंदोलन के बाद झारखंड उच्च न्यायालय एवं जल जीवन मिशन की पहल पर विभाग को 50.58 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले. परंतु अब भी कार्य अधूरा है, जिससे फिर से गमन की आशंका है.
कितनी दूर है योजना का लक्ष्य?
2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा शिलान्यास की गई यह योजना 2018 तक पूरी होनी थी. फिर कोर्ट के आदेश के अनुसार 26 जुलाई 2024 को पूरा किया जाना था, परंतु आज भी 21 पंचायतों के 113 गांव एवं रेलवे क्षेत्र की 33 बस्तियों में जल आपूर्ति अधूरी है.
ये कार्य अब भी अधूरे हैं:
80 किमी पाइपलाइन बिछाना शेष
रेलवे क्षेत्र में 23 किमी पाइपलाइन अधूरी
पांच स्थानों पर टंकियों का कार्य रुका
365 मीटर रेलवे ट्रैक पार करने वाली पाइपलाइन अधूरी
बड़ौदा घाट पर 23 पिलर से पाइप नहीं बिछी
14 किमी सपड़ा इंटक बेल से गिध्दी झोपड़ी तक की पाइपलाइन लंबित
रामनगर, गांधी नगर, बजरंग टेकरी सहित कई बस्तियों में कार्य ठप
समिति की मांग
समिति ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की है कि शेष कार्यों को शीघ्रता से पूर्ण किया जाए ताकि 2.25 लाख आबादी को शुद्ध पेयजल की सुविधा मिल सके.अब देखना होगा कि प्रशासनिक तंत्र इस गंभीर स्थिति को कितनी संवेदनशीलता से लेता है. जनता को जल आपूर्ति से जोड़ने की दिशा में निर्णायक कदम की प्रतीक्षा की जा रही है.
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