उदित वाणी, मुंबई: सनी देओल की फिल्म ‘गदर 2’ के बाद आई है ‘जाट’, जिसमें उनके साथ हैं रेजिना कसांड्रा, रणदीप हुड्डा, विनीत कुमार सिंह, संयमी खेर, राम्या कृष्णन, जगपति बाबू, उपेंद्र लिमये और उर्वशी रौतेला. इस बार सनी देओल के फैन्स को दिवाली का उत्साह बैसाखी पर देखने को मिल रहा है.
कहानी: 80 के दशक का मसाला आज के भारत में
फिल्म की कहानी उस दौर की याद दिलाती है जब दर्शक तीन हीरो द्वारा एक ही दुखियारी को खून देते हुए तालियां बजाते थे. ‘जाट’ में एक अफसर सादे कपड़ों में भ्रष्टाचार मिटाने निकलता है. वह इज्जत गंवाने वाली महिलाओं को बहन और ज़रूरतमंद बुज़ुर्ग को मां बना लेता है. पर कहानी इतनी अवास्तविक लगती है कि नई पीढ़ी के दर्शकों से जुड़ नहीं पाती.
निर्देशक की सोच पर सवाल
निर्देशक गोपीचंद मलिनेनी की समझ फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरी है. भारत में संघीय शासन प्रणाली और केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका को जिस तरह पेश किया गया है, वह न तो यथार्थवादी है और न ही तार्किक. फिल्म में बार-बार शाहरुख खान की ‘जवान’ की झलक मिलती है. वही पुलिसिया बहादुरी, वही भ्रष्टाचार के खिलाफ अकेली लड़ाई और वही भावनात्मक रंग. पर उर्वशी रौतेला का आइटम नंबर फिल्म को A-लिस्टर से खींचकर B-ग्रेड के करीब ले आता है. चार एक्शन डायरेक्टरों की मेहनत के बावजूद फिल्म में इतनी स्लो मोशन झलकियां हैं कि सनी देओल के ‘ढाई किलो के हाथ’ का असर फीका लगने लगता है.
रेजिना कसांड्रा बनीं ‘जवान’ की जंगली बिल्ली
रेजिना कसांड्रा का किरदार दमदार होने के बावजूद अधपका लगता है. उनके संवादों का कोई अनुवाद नहीं आता. उनकी खूबसूरती और अदाकारी के बावजूद स्क्रिप्ट उनके साथ न्याय नहीं करती. विनीत कुमार सिंह, संयमी खेर, रणदीप हुड्डा, जगपति बाबू जैसे कलाकार फिल्म की भीड़ में खो जाते हैं. रणदीप का किरदार राणातुंगा, जो आतंक फैलाता है, वह भी गहराई नहीं ला पाता.
ओटीटी और मार्केटिंग की चाल
फिल्म के ओटीटी राइट्स नेटफ्लिक्स ने खरीद लिए हैं और म्यूजिक राइट्स जी स्टूडियो ने. पर सिनेमा हॉल में दर्शकों की तादाद कम रही तो पीपल मीडिया फैक्ट्री की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
निष्कर्ष: ‘जाट’ देखना है या छोड़ना?
अगर आप मसाला फिल्मों के दीवाने हैं और लॉजिक को किनारे रखकर सिर्फ एक्शन देखना चाहते हैं तो ‘जाट’ एक बार देखने लायक है. पर अगर आप ‘जवान’ जैसे स्तर की कहानी और प्रस्तुतिकरण की उम्मीद कर रहे हैं, तो निराशा हो सकती है.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।