उदित वाणी, अयोध्या: अयोध्या की गलियों में रविवार को हर ओर रामलला के जन्मोत्सव की उमंग थी. सिर्फ नगरवासी ही नहीं, देश-विदेश से श्रद्धालु इस शुभ अवसर पर रामनगरी पहुंचे. मंदिर परिसर में भोर से ही धार्मिक आयोजन आरंभ हो गए.सुबह 3:30 बजे कपाट खुलते ही शृंगार, राग-भोग, आरती और दर्शन का क्रम प्रारंभ हुआ. भक्त बाल स्वरूप रामलला और उत्सव मूर्ति के मनोहारी दर्शन में रम गए.
ठीक दोपहर 12 बजे हुआ अद्भुत ‘सूर्य तिलक’
राम जन्म के क्षण को चिह्नित करने के लिए दोपहर 12 बजे भगवान सूर्य की किरणों ने रामलला के ललाट को स्पर्श किया. मंदिर की वास्तु और तकनीकी रचना के कारण यह दृश्य विज्ञान और अध्यात्म का अनुपम संगम बन गया.मंदिर के शिखर पर लगे विशेष दर्पण पर सूर्य की किरणें गिरीं. वहां से परावर्तित होकर वे पीतल के पाइप में प्रवेश कर गईं. पाइप के भीतर लगे तीन लेंसों और दर्पणों से होकर यह प्रकाश गर्भगृह तक पहुंचा. अंततः 90 डिग्री कोण पर मुड़ती किरणों ने 75 मिलीमीटर के आकार में रामलला के ललाट पर तिलक किया. यह दृश्य लगभग चार मिनट तक चला.
भक्तों पर सरयू जल की फुहारें
श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक थी कि नगर की गलियां जय श्रीराम के उद्घोष से गुंजायमान हो उठीं. मंदिर आने वाले भक्तों पर ड्रोन की सहायता से सरयू जल की पवित्र फुहारों का छिड़काव किया गया. हर कोना भक्ति में डूबा दिखा.
रामलला की भव्य शोभा
रामलला ने इस पावन अवसर पर रत्नजड़ित पीले वस्त्र और स्वर्ण मुकुट धारण किया. जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां 12 की ओर बढ़ीं, वैसे-वैसे भक्तों का हर्ष और अधीरता भी बढ़ती गई.कपाट खुलते ही मंदिर में घंटे-घड़ियाल गूंजने लगे. श्रद्धालु ‘भए प्रकट कृपाला दीनदयाला…’ छंद का गायन करते हुए प्रभु के जन्म का स्वागत करने लगे. सूर्य तिलक और आरती के पश्चात भक्त प्रभु के दर्शन में इतने लीन हुए कि कई लोग मंदिर परिसर में ही बैठकर ध्यान और स्तुति में रम गए.
अद्वितीय संगम: विज्ञान और आस्था
राम जन्मोत्सव का यह दृश्य न केवल आध्यात्मिक था, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी आकर्षक था. मंदिर की रचना इस प्रकार की गई है कि हर वर्ष रामनवमी पर सूर्य की किरणें ठीक समय पर रामलला के ललाट को स्पर्श करें.यह अनूठा आयोजन तकनीक और श्रद्धा का मिलन था, जिसे देखने हर भक्त की आंखें नम और मन अभिभूत हो उठा.
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