उदित वाणी, आदित्यपुर: आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में बोरिंग के नाम पर खेल चल रहा है. यहां बिना ‘चढ़ावा’ चढ़ाए बोरिंग की अनुमति मिलना मुश्किल हो गया है. भले ही नगर निगम ने निजी घरों के लिए बोरिंग शुल्क ₹1,000 और सिंगल अपार्टमेंट के लिए ₹25,000 निर्धारित किया हो, लेकिन बिना अतिरिक्त रकम दिए अनुमति मिलना आसान नहीं है.
गहराता जल संकट, सूख रहे बोरिंग
गर्मी की शुरुआत के साथ ही आदित्यपुर में जल संकट गहरा गया है. भूजल स्तर तेजी से नीचे गिरने के कारण अधिकांश बोरिंग सूख चुके हैं. जो बचे हुए हैं, उनकी भी स्थिति ठीक नहीं है और पानी नाममात्र का निकल रहा है. नगर निगम इस समस्या के समाधान में असफल साबित हो रहा है.
शहरी अमृत योजना बनी उपेक्षा का शिकार
केन्द्र सरकार की शहरी अमृत योजना, राज्य सरकार और नगर निगम की अनदेखी की वजह से ठप पड़ी है. वर्षों पहले शुरू हुई आदित्यपुर शहरी पाइप जलापूर्ति योजना का काम आज तक अधूरा है. स्थानीय लोग इस योजना के पूरा होने की प्रतीक्षा में खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. अब यह योजना केवल एक अधूरे सपने की तरह लगने लगी है.
“आपदा में अवसर तलाश रहे हैं नगर निगम कर्मी” – सतीश शर्मा
भाजपा नेता सतीश शर्मा ने नगर निगम प्रशासन की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि जल संकट बढ़ते ही नगर निगम कर्मचारी इसे कमाई का जरिया बना रहे हैं. आम लोग अपनी जेब से बोरिंग करवा कर पानी की समस्या से निजात पाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें अनुमति देने के बदले मोटी रकम मांगी जा रही है.
भाजपा प्रतिनिधिमंडल जल्द ही पूर्व मुख्यमंत्री एवं स्थानीय विधायक चंपई सोरेन से मिलकर इस गंभीर जल संकट और नगर निगम की गतिविधियों पर ध्यान आकर्षित कराएगा.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।