उदित वाणी, रांची: बजट सत्र के 13वें दिन विधानसभा में भ्रष्टाचार का मुद्या छाया रहा. विभागीय मंत्री सत्तापक्ष के विधायकों के ही आरोपों में घिरे. सदन में अलग-अलग विभागों के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सत्तापक्ष के विधायकों का रुख तल्ख था तथा भ्रष्टाचार पर दोषी अधिकारियों-संवेदकों पर कार्रवाई की मांग को लेकर सरकार को घेरा. कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने अल्पसूचित प्रश्नकाल के दौरान पेयजल व स्वच्छता विभाग में 22.79 करोड़ की अवैध निकासी और ई-रिक्शा खरीद में भी अनियमितता बरतने का मामला उठाया. वहीं झामुमो विधायक अमित कमार महतो ने तारांकित प्रश्न के जरिये उनके विधानसभा क्षेत्र में पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में बने पुल के उध्दघाटन के पहले ही धंसने और पांच साल बाद भी किसी पर कार्रवाई नहीं करने का मामला उठाया.
प्रदीप यादव का आरोप था कि स्वर्णरेखा परियोजना की एल एंड टी कंपनी को भुगतान की जानेवाली 22.79 करोड़ की राशि रोकड़पाल संजय कुमार के निजी खाते में भेजकर बंदरबांट की गई. मामले में रोकड़पाल को गिरफतार किया गया. लेकिन इस मामले में कार्यपालक अभियंताओं प्रभात कुमार सिंह, चंद्रशेखर व राधेश्याम रवि के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. जबकि रोकड़पाल संजय कुमार ने अपने 27 पृष्ठ के स्पष्टीकरण में इन अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाया है. वहीं राशि की बंदरबांट को लेकर वित्त विभाग की भी जांच रिपोर्ट आई है. सरकार जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करे और अभियंता पर एफआइआर दर्ज करे. जबकि विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद सरकार की ओर से उत्तर देते हुए जोर-जोर से बोलने लगे. इस पर प्रदीप यादव ने कहा कि जोर-जोर से बोलकर भ्रष्टाचार पर पर्दा न डालें. संतोष कुमार ने विभाग को दिये गये स्पष्टीकरण में बताया है कि पैसा उसने बड़े अधिकारियों के खाते में दिया है. पैसा और गहना भी दिया है. अधिकारियों पर कार्रवाई करें.
उन्होंने कहा कि इस मामले में तथ्य भयंकर है. वहीं विभागीय मंत्री ने अपने जबाब में कहा कि इस मामले की जांच एसीबी व सीआईडी से कराने का आदेश दिया जा चुका है. तीन-चार महीने में जांच रिपोर्ट आ जायेगी. सीएजी से भी ऑडिट करायी जायेगी. यह मामला बर्ष 2023 का है. वे सदन में इस पूरे मामले की कुंडली लेकर आये हैं. सरकार सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई करेगी. रोकड़पाल संतोष कुमार को निलंबित किया गया है और उक्त अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित की गई है. इधर प्रदीप यादव ने कहा कि वित विभ्ज्ञाग नियंत्री विभाग है. वित्तमंत्री बतायें कि उनके विभाग ने क्या कार्रवाई की. इसपर वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि इस मामले में नियंत्री वित्त विभाग द्वारा गठित सात सदस्यीय अंतर विभागीय जांच टीम का प्रतिवेदन मिला है. मामले में संलिप्त वित विभाग के चार ट्रेजरी पदाधिकारियों मनोज कुमार सिन्हा, सुनील कुमार सिन्हा, मनोज सिन्हा व रीना कुमारी गुप्ता को सस्पेंड कर दिया गया है. फाइल पर मुख्यमंत्री की भी कड़ी टिप्पणी है.
उध्दघाटन के पहले ही पुल धंसने के मामले में अमित महतो ने सरकार को घेरा
इधर सिल्ली विधायक अमित कुमार महतो ने सवाल किया कि ठेकेदार एएन पांडेय को जिन दो पुलों के निर्माण की ठेका दी गयी थी. उसमें से दोंनों पुल धंस गए. लेकिन ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा संवेदक को डिबार करते हुए राशि वसूली करने के बजाय तीसरे पुल का ठेका दिया गया. इसकी जांच के लिए साल 2021 में ही कमेटी बनायी गई थी. लेकिन अब तक जांच का प्रतिवेदन नहीं दिया गया. उन्होंने पदाधिकारियों पर आरोप लगाया कि संवेदक को संरक्षण दिया जा रहा है और मंत्री के साथ-साथ सरकार को गुमराह किया जा रहा है. वहीं बीच में टोका-टोकी करते हुए भाजपा विधायक मनोज यादव ने चुटकी ली और कहा कि विभागीय मंत्री यह बतायें कि तीसरा पुल कब धंसेगा. अमित महतो के सवाल का जबाब देते हुए ग्रामीण कार्य विभाग की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि सरकार किसी को बचाने का प्रयास नहीं कर रही है. मौजूदा सत्र में ही सारी वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इस मामले पर जांच का आदेश दिया है. जिसके बाद आरोपी संवेदक को डिबार किया जायेगा. पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी.
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