उदित वाणी, नई दिल्ली: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर की नौ महीने बाद धरती पर वापसी का रास्ता अब स्पष्ट हो चुका है. नासा और स्पेसएक्स के संयुक्त मिशन क्रू-10 के तहत, ये दोनों अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से वापस लौटेंगे.
क्रू-10 मिशन और टीम की उपलब्धियां
क्रू-10 मिशन की टीम ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सफलता पूर्वक कदम रखा है. इस टीम में नासा के अंतरिक्ष यात्री ऐनी मैकक्लेन और निकोल एयर्स, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के ताकुया ओनिशी और रूस के रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री किरिल पेस्कोव शामिल हैं. ये सभी कुछ दिन तक सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर से अंतरिक्ष मिशन के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.
सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष यात्रा की ऐतिहासिक यात्रा
सुनीता विलियम्स, जिन्होंने अब तक तीन बार अंतरिक्ष यात्रा की है, की यात्रा एक प्रेरणा है. उनकी पहली यात्रा 11 दिसंबर 2006 से लेकर 22 जून 2007 तक रही, जब वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर थीं. इस दौरान उन्होंने महिलाओं के लिए स्पेसवॉक में नया रिकॉर्ड स्थापित किया. उन्होंने कुल 29 घंटे 17 मिनट अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर बिताए. इस मिशन में वह अपने साथ भगवद्गीता की एक प्रति लेकर गई थीं.
दूसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर
सुनीता की दूसरी यात्रा 14 जुलाई 2012 को हुई थी, जब वह कजाकिस्तान के बाइकानोर कॉस्मोड्रोम से रूस और जापान के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष में गई थीं. इस दौरान उन्होंने चार महीने तक अंतरिक्ष स्टेशन पर रहकर कई महत्वपूर्ण शोध किए और तीन स्पेसवॉक की. इस बार भी वह ओम का निशान, भगवान शिव की एक पेंटिंग और उपनिषद की एक प्रति अपने साथ लेकर गई थीं.
तीसरी यात्रा और भगवान गणेश की मूर्ति
सुनीता की तीसरी अंतरिक्ष यात्रा 5 जून 2024 को शुरू हुई थी, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण वह अपने निर्धारित समय पर धरती पर वापस नहीं आ पाईं. इस बार उन्होंने भगवान गणेश की मूर्ति अपने साथ अंतरिक्ष में ली थी, क्योंकि वह भगवान गणेश को अपनी लकी देवी मानती हैं. यह यात्रा अब तक की सबसे लंबी यात्रा साबित हुई है, जिसमें वह लगभग नौ महीने से अंतरिक्ष में फंसी हुई हैं.
अंतरिक्ष यात्रा और आध्यात्मिकता
सुनीता विलियम्स को न केवल अपनी अंतरिक्ष यात्रा के लिए जाना जाता है, बल्कि उनकी आध्यात्मिकता भी लोगों को प्रेरित करती है. वह भगवान में विश्वास रखती हैं और अंतरिक्ष में भी अपने धार्मिक प्रतीकों को साथ ले जाती हैं. उनके लिए अंतरिक्ष यात्रा केवल वैज्ञानिक कार्य नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है.
अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के प्रभाव
लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के कारण सुनीता और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री बैरी विल्मोर को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है. शून्य गुरुत्वाकर्षण और विकिरण के प्रभाव से हड्डियों की कमजोरी, आंखों की रोशनी पर असर और शरीर के संतुलन में गड़बड़ी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
आखिरकार धरती पर लौटने का समय
अब क्रू-10 मिशन के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने के बाद, सुनीता और बैरी की धरती पर वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है. उनके मिशन ने न केवल अंतरिक्ष यात्रा की सफलता को दर्शाया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए समर्पण और धैर्य की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
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