उदित वाणी, जादूगोड़ा: जादूगोड़ा में इस बार मारवाड़ी समाज ने होलिका दहन की एक अनोखी परंपरा का पालन किया. महिलाओं ने गोबर से बनी होलिका की पूजा और अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की. इस परंपरा को लेकर स्थानीय समाज में विशेष उत्साह देखने को मिला.
गोबर की होलिका की पूजा
मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने गोबर से बनी होलिका का पूजन किया. इस पूजा के दौरान समाज की महिलाओं ने न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत की कामना की, बल्कि जादूगोड़ा की समृद्धि और सुख-शांति की भी प्रार्थना की. पूजा के बाद, सभी ने एकजुट होकर इस पर्व को मनाया और एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं.
पौराणिक कथा और होलिका दहन की महत्व
होलिका दहन की परंपरा पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि राक्षस हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को मारने के लिए उसे होलिका की गोद में बैठा दिया था. होलिका, जो कि वरदान प्राप्त थी, आग से नहीं जल सकती थी, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गए और होलिका जल कर भस्म हो गई. इस कथा से प्रेरित होकर हर साल होली के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मनाया जाता है.
मारवाड़ी समाज की विशेष परंपरा
जादूगोड़ा में मारवाड़ी समाज ने इस साल होलिका दहन की परंपरा को और भी खास बना दिया. गोबर से बनी होलिका की पूजा करते हुए महिलाओं ने अपने परिवार और समाज के लिए सुख, समृद्धि और शांति की कामना की. इस दौरान एकजुटता और भाईचारे का भी विशेष रूप से महत्व दिया गया.
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