उदित वाणी, कांड्रा: संथाल आदिवासी खेरवाड़ समुदाय के प्रमुख त्योहारों में शामिल बाहा पर्व की आज से विधिवत शुरुआत हो गई. पांच दिनों तक चलने वाले इस पारंपरिक उत्सव के तहत राज्यभर के जाहेरगढ़ों में बाहा बोंगा की पूजा-अर्चना की गई.
जिलिंगोड़ा जाहेरगढ़ में चंपई सोरेन ने की पूजा
पूर्व मुख्यमंत्री और सरायकेला के विधायक चंपई सोरेन ने अपने पैतृक गांव गम्हरिया प्रखंड के जिलिंगोड़ा स्थित पारंपरिक जाहेरगढ़ में बाहा बोंगा की पूजा की. उन्होंने राज्य की समृद्धि और खुशहाली की कामना की. इस अवसर पर जिलिंगोड़ा जाहेरगढ़ को आकर्षक तरीके से सजाया गया था, जिससे इसकी भव्यता देखते ही बन रही थी.
परंपरा और अस्तित्व की रक्षा के लिए आंदोलन की घोषणा
पूजा के बाद मीडिया से बातचीत में चंपई सोरेन ने आदिवासी परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने चिंता जताई कि आज आदिवासी अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है और साजिशन उनकी परंपराओं के साथ छेड़छाड़ की जा रही है.
उन्होंने कहा, “हमने मारांग बुरु से राज्य में बढ़ते घुसपैठ और हमारी रूढ़िवादी परंपराओं को सुरक्षित रखने का आशीर्वाद मांगा है. 23 मार्च से आदिवासियों के अधिकारों और संस्कृति की रक्षा के लिए नया आंदोलन शुरू किया जाएगा.”
राज्य सरकार पर निशाना
चंपई सोरेन ने राज्य सरकार पर आदिवासियों की परंपराओं की सुरक्षा में विफल रहने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जब वे मुख्यमंत्री थे, तब इस दिशा में ठोस प्रयास किए गए थे, लेकिन अब यह कार्य ठप हो चुका है. उन्होंने इस विषय को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया.
अब देखना होगा कि उनका यह आंदोलन कितना प्रभावी होता है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है.
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