उदित वाणी, जमशेदपुर: 28 फरवरी 1908-दो शांत नदियों के संगम पर बिहार के घने जंगलों के बीच एकनया इतिहास रचा जाने लगा. वह सुदूर इलाका, जहां कभी सन्नाटा पसरा था, धीरे-धीरे इस्पात उद्योग में रूपांतरित होने लगा. यही वह पावन धरती थी, जिसने एक महान इस्पात कारखाने और औद्योगिक नगर जमशेदपुर के रूप में नया आकार लिया. पचास वर्षों की शानदार यात्रा के बाद एक मार्च 1958 की सुबह जमशेदपुर एक नए उत्साह से जग उठा. पूरे नगर में उमंग की लहर थी, जब 3,00,000 नागरिकों ने अपने उद्योग और शहर की स्वर्ण जयंती उल्लासपूर्वक मनाई. इस ऐतिहासिक दिन को और भी विशेष बनाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू विशेष रूप से दिल्ली से पधारे. उन्होंने नगरवासियों के साथ इस स्वर्णिम उपलब्धि का जश्न मनाया और 200 एकड़ के भव्य पार्क को जमशेदपुर के नागरिकों को समर्पित किया.
जुबिली पार्क को समर्पित करते हुए पंडित नेहरू ने कहा:
“अंततः यदि गहराई से देखा जाए, तो उद्यान और वृक्ष, लोहे और इस्पात से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं. इस्पात हमें मजबूती देता है, लेकिन फूल, हरियाली और प्रकृति हमें जीवन की सच्ची ऊर्जा और आनंद प्रदान करते हैं. मनुष्य की आत्मा को संवारने और उसे सुकून देने में इनका योगदान अतुलनीय है. इसलिए, इस महान कंपनी की स्वर्ण जयंती को यादगार बनाने के लिए एक भव्य उद्यान का निर्माण करना एक असाधारण विचार है. यह केवल एक पार्क नहीं, बल्कि जमशेदपुर के श्रमिकों और नागरिकों के लिए सौंदर्य, ताजगी और प्रेरणा का उपहार है. मैं इस अद्भुत पहल के लिए इसके निर्माताओं को हृदय से बधाई देता हूँ.”
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