उदित वाणी, चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिले में अवैध अफीम की खेती को समाप्त करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने सख्ती बढ़ा दी है. इसके साथ ही जागरूकता अभियान भी तेज कर दिया गया है, क्योंकि केवल कानूनी कार्रवाई से इस समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है.
मानकी-मुंडा की बैठक में अफीम उन्मूलन पर मंथन
गुरुवार को कोल्हान विश्वविद्यालय सभागार में उपायुक्त कुलदीप चौधरी और पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर की अध्यक्षता में मानकी-मुंडा की जिला स्तरीय त्रैमासिक बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में अवैध अफीम की खेती को रोकने के उपायों पर विस्तार से चर्चा हुई.
बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी संदीप अनुराग टोपनो, चक्रधरपुर अनुमंडल पदाधिकारी श्रुति राजलक्ष्मी, चाईबासा एसडीपीओ बहामन टूटी, सार्जेंट मेजर मंसू गोप, मानकी-मुंडा संघ के अध्यक्ष सहित अन्य लोग मौजूद रहे. इस दौरान उपायुक्त ने सभी को शपथ दिलाई कि वे अफीम मुक्त जिले की इस मुहिम में सहयोग करेंगे.
गाँव-गाँव जागरूकता फैलाने की अपील
उपायुक्त ने कहा कि मानकी-मुंडा की भूमिका इस अभियान में सबसे महत्वपूर्ण है. अफीम की अवैध खेती को रोकने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है. उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे अपने क्षेत्र, गाँव और मोहल्लों में अफीम जैसी नशीली फसलों की खेती को पूरी तरह समाप्त करने में सहयोग करें.
400 एकड़ भूमि अफीम मुक्त, लेकिन अभी लंबा सफर बाकी
उपायुक्त ने बताया कि अब तक लगभग 400 एकड़ भूमि को अफीम मुक्त किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों की खेती से भूमि बंजर हो जाती है, और इसके सेवन से युवा पीढ़ी नशे की लत में फँसकर बर्बाद हो रही है. उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया कि वे अपने आसपास के लोगों को अफीम की खेती छोड़ने और मुख्यधारा की कृषि अपनाने के लिए प्रेरित करें.
अफीम छोड़ने वाले किसानों को मिलेगा सम्मान और सहयोग
जो किसान अफीम की खेती छोड़कर पारंपरिक या आधुनिक खेती अपनाना चाहते हैं, उन्हें जिला प्रशासन द्वारा हर संभव सहायता दी जाएगी. उपायुक्त ने कहा कि गाँव-गाँव में रात्रि चौपाल आयोजित कर जागरूकता बढ़ाई जाए और अफीम की खेती छोड़ने वाले किसानों को चिन्हित कर सम्मानित किया जाए.
पुलिस भी सख्त, ग्रामीणों से सहयोग की अपील
पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने कहा कि अवैध अफीम की खेती को नष्ट करने और जिले को नशा मुक्त बनाने के लिए पुलिस ग्रामीणों के साथ सामंजस्य बैठाकर काम कर रही है. उन्होंने सभी मानकी-मुंडा से अपील की कि वे अपने स्तर पर ग्रामीणों को अफीम की खेती न करने के लिए प्रेरित करें.
इस अवसर पर जागरूकता पोस्टर भी वितरित किए गए, ताकि ग्रामीणों को इस अभियान का संदेश बेहतर तरीके से समझाया जा सके.
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