उदित वाणी, दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सर रतन टाटा ट्रस्ट और टाटा ट्रस्ट्स द्वारा बौद्धिक संपदा के उल्लंघन के आरोप में दायर मुकदमे के जवाब में रजत श्रीवास्तव नामक व्यक्ति को ‘रतन टाटा आइकॉन अवार्ड’ नामक पुरस्कार आयोजित करने से रोक दिया. न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि रजत श्रीवास्तव और उनकी कंपनी को रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट से संबंधित लोगो और चित्रों का उपयोग नहीं करने दिया जाएगा.
न्यायालय का महत्वपूर्ण आदेश
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने इस मामले में कहा कि रतन टाटा एक प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और उनका नाम भी संरक्षित किए जाने योग्य है. अदालत यह भी विचार कर रही है कि क्या ‘रतन टाटा’ को उनकी लोकप्रियता के कारण एक प्रसिद्ध ट्रेडमार्क घोषित किया जा सकता है. यह आदेश रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट्स के ट्रेडमार्क और नाम के संरक्षण से संबंधित है.
अनधिकृत पुरस्कार और धोखाधड़ी का आरोप
इस विवाद की शुरुआत रजत श्रीवास्तव और उनकी कंपनी यूसी मेंटर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ‘रतन टाटा आइकॉन अवार्ड’ जैसी अनधिकृत आयोजनों के आयोजन से हुई. आरोप है कि उन्होंने टाटा ट्रस्ट्स और रतन टाटा से झूठे संबंध का दावा करते हुए कार्यक्रमों का आयोजन किया और समाज को गुमराह किया. इसके परिणामस्वरूप, टाटा ट्रस्ट्स और रतन टाटा की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान हुआ. सर रतन टाटा ट्रस्ट और टाटा ट्रस्ट्स ने दो करोड़ रुपये हर्जाने की मांग भी की, ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी दोबारा न हो.
मुकदमे का परिणाम और भविष्य की सुनवाई
सुनवाई के दौरान, रजत श्रीवास्तव ने अदालत से सहमति व्यक्त की कि वह रतन टाटा के नाम का उपयोग नहीं करेंगे और पुरस्कारों को रद्द करेंगे. इसके परिणामस्वरूप, मुकदमा खारिज कर दिया गया. हालांकि, न्यायालय ने प्रतिवादियों से इस वचनबद्धता को लेकर अनुपालन की सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख तय की.
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