उदित वाणी, रांची: राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने झारखंड में आपदा राहत की स्थिति की समीक्षा की. बैठक में उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति को कम करने के लिए संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. मुख्य सचिव ने राज्य में आंधी-तूफान और लू से होने वाले जान-माल के नुकसान को ध्यान में रखते हुए इसे ‘विशिष्ट स्थानीय आपदा’ घोषित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकृति भी प्रदान कर दी गई.
मुख्य सचिव ने कहा कि समय रहते प्रभावी राहत और बचाव कार्यों के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली हानि को न्यूनतम किया जा सकता है. वे मंगलवार को राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं.
जलाशयों में गोताखोरों की तैनाती
बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य के चिह्नित जलाशयों में प्रशिक्षित गोताखोरों की तैनाती की जाएगी. इसके लिए निबंधित पेशेवर मछुआरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. चयनित गोताखोरों को प्रतिमाह 10,000 रुपये मानदेय देने की भी घोषणा की गई.
साथ ही, विशिष्ट स्थानीय आपदा राहत के लिए 10 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई. यह राशि अतिवृष्टि, सर्पदंश, खनन आपदा, वज्रपात, रेडिएशन संकट, जल में डूबने, भगदड़, गैस रिसाव और सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान देने में उपयोग की जाएगी.
39 नए अग्निशमन केंद्रों की होगी स्थापना
राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए 39 नए अग्निशमन केंद्र स्थापित किए जाएंगे. संकीर्ण गलियों और घनी बस्तियों में तेजी से राहत पहुंचाने के लिए ‘मिनी वाटर टेंडर विथ मिस्ट टेक्नोलॉजी’ से युक्त अग्निशमन वाहनों की खरीद को मंजूरी दी गई.
इसके अलावा, आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के सहयोग से वज्रपात और जलाशयों में डूबने से होने वाली मौतों के हॉटस्पॉट की पहचान करेगा. इन जोखिम क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों को प्रभावी बनाने की रणनीति तैयार की जाएगी.
बैठक में गृह विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, होमगार्ड एवं अग्निशमन विभाग के डीजी अनिल पालटा, वित्त सचिव प्रशांत कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव राजेश शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
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