उदित वाणी, चांडिल: एक माह पहले खूंटी वन क्षेत्र के तुलग्राम और बालीडीह जंगल के रास्ते बाघ दलमा के जंगलों में प्रवेश कर चुका था. बाघ ने 31 दिसंबर को तुलग्राम जंगल में एक बैल को मारकर उसे अपना निवाला बना लिया था, साथ ही एक बछड़ा भी अपने साथ ले गया था. अब, पूरे एक महीने बाद, बाघ फिर से दलमा के जंगलों में विचरण कर रहा है और ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना दिया है.
वन विभाग ने की पुष्टि, लेकिन कार्रवाई में धीमी गति
यह जानकारी किसी से छिपी नहीं है कि दलमा के जंगलों में बाघ का विचरण हो रहा है. सरायकेला के डीएफओ सबा आलम अंसारी ने पहले ही बाघ की मौजूदगी की पुष्टि की थी और ट्रैकिंग कैमरे में बाघ की तस्वीर भी कैद होने की बात कही थी. हालांकि, अब तक विभाग द्वारा कोई तस्वीर साझा नहीं की गई है.
बाघ के हमले से ग्रामीणों में हड़कंप, मवेशियों पर किया हमला
चांडिल और दलमा वन क्षेत्र से सटे नीमडीह प्रखंड के तनकोचा गांव में बीते गुरुवार को बाघ ने मवेशियों पर हमला किया. राजीव मांझी और बुद्धे मार्डी के मवेशियों पर हुए हमले में से बुद्धे मार्डी का बैल मौके पर ही मारा गया. वहीं, राजीव मांझी का बैल और गाय घायल होकर किसी तरह बच गए. घायल बैल का इलाज दड़दा गांव के पशु डॉक्टर राम प्रसाद महतो द्वारा किया जा रहा है.
बाघ का निवाला, विभाग की नाकामी से ग्रामीणों में बढ़ रहा भय
वहीं, मरे हुए बैल को बाघ धीरे-धीरे अपना निवाला बना रहा है, और कल शाम तक बैल का आधा हिस्सा खा चुका था. दलमा वन्य प्राणी अभ्यारण के अधिकारी की टीम शनिवार को घटनास्थल पर पहुंची और मुआयना किया. बाघ को पकड़ने का दस्ता दलमा पहुंच चुका है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है.
गांव के लोग दहशत में, समय रहते नहीं हुआ तो हो सकती है बड़ी दुर्घटना
दलमा वन क्षेत्र के अंतर्गत तनकोचा जंगल एनएच 33 से सटा हुआ है, जिससे स्थानीय लोग अनहोनी की आशंका जता रहे हैं. यदि समय रहते बाघ को पकड़ने में सफलता नहीं मिलती, तो किसी बड़ी दुर्घटना की संभावना को नकारा नहीं जा सकता.
क्या बाघ को पकड़ पाएगा वन विभाग?
अब सवाल यह है कि कितने और दिन चांडिल के लोग डर के साये में जीवन जीने को मजबूर होंगे. क्या वन विभाग अपने निपुणता के बलबूते बाघ को सही जगह पहुंचा पाएगा? यह देखना होगा कि विभाग अपनी कार्रवाई में कितनी सफलता प्राप्त करता है.
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