उदित वाणी, रांची: सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा ठंड के मौसम में गरीबों के बीच बांटने के लिए 30 करोड़ रुपये के कंबल मंगवाए गए थे. निविदा शर्तों के अनुसार, हर कंबल का वास्तविक वजन 2100 ग्राम होना चाहिए था, जो धोने के बाद 2000 ग्राम (5% तक की कमी) रह सकता है.
हालांकि, पलामू और रांची सहित अन्य जिलों में आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भेजे गए कंबलों का वजन धोने के बाद निर्धारित सीमा से काफी कम पाया गया. पलामू में उपलब्ध कराए गए कंबल का वजन 1662 ग्राम और रांची में 1596 ग्राम दर्ज किया गया. मामला उजागर होने के बाद विभाग की निदेशक समीरा एस ने तुरंत जांच के आदेश दिए हैं.
निविदा प्रक्रिया और आपूर्ति का जिम्मा
चार कंपनियों को दी गई थी आपूर्ति की जिम्मेदारी
सामाजिक सुरक्षा विभाग ने जेम पोर्टल के माध्यम से निविदा निकाली थी, जिसमें सात कंपनियों ने भाग लिया. जांच और मूल्यांकन के बाद चार कंपनियों को उपयुक्त पाया गया. इन कंपनियों के कंबलों के नमूने को कोलकाता की वस्त्र समिति की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया.
सबसे कम दर पर दिया गया था अनुबंध
धोने के बाद सबसे उपयुक्त वजन और कम कीमत का दावा करने वाली ‘बिहारी लाल चौधरी ट्रेड लिंक प्रालि, धनबाद’ और ‘ओम शक्ति टेक्सटाइल, पानीपत’ को क्रमशः 326 रुपये प्रति कंबल के दर से नौ लाख 20 हजार 243 कंबलों की आपूर्ति का जिम्मा सौंपा गया था.
घटते वजन पर सवाल
आपूर्ति किए गए कंबलों का वजन तय सीमा से कम
जांच में सामने आया कि कुछ कंपनियों के कंबलों का वजन धोने के बाद तय मानक से काफी कम हो रहा है. उदाहरण के तौर पर, ‘टेक्नो फ्यूल इंडिया प्रालि’ के कंबल का वजन 1653 ग्राम दर्ज किया गया था, जो शर्तों के अनुरूप नहीं था.
विभाग की सख्ती
सामाजिक सुरक्षा विभाग ने गड़बड़ी की जांच के निर्देश दिए हैं. यदि आपूर्तिकर्ताओं की ओर से धोखाधड़ी साबित होती है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
क्या कंबल वितरण में हुई लापरवाही?
सवाल उठ रहा है कि इतनी बड़ी निविदा प्रक्रिया के बावजूद आपूर्ति में गड़बड़ी कैसे हुई? क्या संबंधित अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से चूक गए? यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि दोषी कौन है और क्या गरीबों को ठंड में राहत पहुंचाने के प्रयास विफल हो गए हैं.
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