रांची: झारखंड को 31 मार्च 2026 तक भाकपा माओवादियों के हथियारबंद दस्ते से मुक्त कराने का लक्ष्य रखा गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में झारखंड पुलिस मुख्यालय को निर्देश भेजा है. यह एजेंडा वर्ष 2024 में नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक में तय किया गया था.
खुफिया रिपोर्ट से मिली नक्सलियों की गतिविधियों की जानकारी
झारखंड पुलिस को हाल ही में खुफिया एजेंसियों से नक्सलियों की सक्रियता पर रिपोर्ट प्राप्त हुई थी. इसमें पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा के नेतृत्व में सक्रिय नक्सली दलों और उनके ठिकानों की जानकारी दी गई है.
मिसिर बेसरा के नेतृत्व में मुख्य नक्सली समूह
पश्चिमी सिंहभूम के बाबूडेरा में मिसिर बेसरा के नेतृत्व में सेंट्रल कमेटी के सदस्य अनल, असीम मंडल और अन्य नक्सली सक्रिय हैं. इसके अलावा 15-17 नक्सलियों का एक अन्य दल रूटागुंटू के जंगलों में अजय महतो और अमित हांसदा के नेतृत्व में काम कर रहा है.
झुमरा में विवेक की अगुवाई
झुमरा इलाके में सेंट्रल कमेटी के नक्सली विवेक, अनुज, रघुनाथ और चंचल के नेतृत्व में काम कर रहे हैं. यह दल बोकारो जिले के झुमरा पहाड़ी क्षेत्र में कैंप कर रहा है.
राज्य में नक्सलवाद की मौजूदा स्थिति
झारखंड के 24 में से केवल 5 जिले गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम नक्सल प्रभावित रह गए हैं. अन्य जिलों में नक्सल प्रभाव समाप्त हो चुका है.
कमजोर हो रहे नक्सली प्रभाव
गिरिडीह, गुमला, लोहरदगा और लातेहार जिलों में नक्सलियों का प्रभाव लगातार कमजोर हो रहा है. इन जिलों को ‘डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सर्न’ श्रेणी में रखा गया है. वहीं, सरायकेला-खरसावां, चतरा, खूंटी, रांची, बोकारो और गढ़वा जैसे जिलों में नक्सल गतिविधियों का पूरी तरह से खात्मा हो चुका है.
2026 तक नक्सल मुक्त झारखंड: एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड पुलिस मुख्यालय को निर्देशित किया है कि नक्सलवाद समाप्ति के लिए ठोस कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. अब देखना यह है कि पुलिस और खुफिया एजेंसियों के सामूहिक प्रयासों से झारखंड 2026 तक नक्सल मुक्त हो पाता है या नहीं.
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