उदित वाणी, कांड्रा: झारखंड की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं का जीवंत चित्रण टुसू मेले में देखने को मिलता है. सरायकेला जिले में मकर संक्रांति के दिन से लेकर पूरे जनवरी माह तक विभिन्न स्थानों पर टुसू मेला का आयोजन होता है. इसी क्रम में गम्हरिया प्रखंड के सबसे पुराने सिकितदोहा (पालूबेड़ा) में जय मां पाउड़ी क्लब द्वारा 1977 से आयोजित हो रहे टुसू मेला का आयोजन किया गया.
टुसू मेले में उमड़ी भीड़
इस बार के मेले में विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से आकर्षक टुसू प्रतिमाएं लाई गईं. मेले के दौरान झूमर संगीत, पाता नृत्य और बच्चों के लिए खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. खास आकर्षण मुर्गा पाड़ा रहा, जो न केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है.
झूमर संगीत और अन्य कार्यक्रम
पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम से आई ताप्ती महतो और उनकी टीम ने झूमर संगीत प्रस्तुत किया, जो दर्शकों के लिए मुख्य आकर्षण रहा. वहीं, बच्चों और युवाओं ने खेलकूद प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
उद्घाटन और पुरस्कार वितरण
टुसू मेले का उद्घाटन पूर्व जिला परिषद सदस्य सुधीर चंद्र महतो ने किया. इस अवसर पर समाजसेवी राम महतो भी उपस्थित रहे. पुरस्कार वितरण समारोह में झामुमो के केंद्रीय सदस्य कृष्णा बास्के और गौतम महतो ने भाग लिया.
आयोजन समिति की भागीदारी
जय मां पाउड़ी क्लब सिकितदोहा (पालूबेड़ा) की आयोजन समिति के अध्यक्ष होमी चंद्र सोरेन, ग्राम प्रधान धरमू माझी, कोषाध्यक्ष विनोद महतो, बीनू सोरेन, राहुल सोरेन, सुशील मारंडी, राजेश हेंब्रम, कालीपद महतो और गयादत्त महतो जैसे अन्य सदस्य आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रहे.
संभावनाओं से भरा यह उत्सव
झारखंड की परंपराओं और सामूहिक उल्लास का यह आयोजन न केवल मनोरंजन का केंद्र रहा बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का माध्यम भी बना. जनवरी महीने में इस तरह के और भी आयोजन झारखंड के विभिन्न हिस्सों में होते रहेंगे, जो परंपरा और उत्सव को नए रंगों से सजाएंगे.
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