उदित वाणी, चाईबासा: झारखंड सरकार का बालू घाटों की नीलामी को लेकर उदासीन रवैया एक बड़ी घटना का कारण बन सकता है. बालू माफियाओं की सक्रियता अब ऐसे स्तर पर पहुंच गई है कि वे अब सीधे पुलिस और प्रशासन से टकराने के लिए तैयार हैं. इसका ताजा उदाहरण पश्चिमी सिंहभूम जिले के तांतनगर ओपी क्षेत्र में देखने को मिला. जहां बालू माफियाओं ने ओपी प्रभारी को ट्रैक्टर से कुचलने का प्रयास किया.
बालू माफियाओं की हिंसक हरकत
तांतनगर ओपी प्रभारी मेघनाथ मंडल और एक एएसआई अवैध बालू खनन और उठाव के खिलाफ छापेमारी करने गए थे. इस दौरान, बालू माफियाओं ने पुलिस अधिकारियों को घेर लिया और ट्रैक्टर से कुचलने की कोशिश की. इसके बाद उन्हें गालियाँ दी गईं और धमकी दी गई कि वे दोबारा इस क्षेत्र में न आएं. बालू माफियाओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि पुलिस यहां आई तो उन्हें बालू में गाड़ दिया जाएगा.
वायरल वीडियो और धमकियां
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें बालू माफिया यह कहते हुए दिख रहे हैं कि, “हम लोग महीने में पैसा देते हैं, तो गाड़ी क्यों तोड़ी जाती है? क्यों गिरफ्तार किया जाता है? जब दूसरे क्षेत्रों में अवैध खनन हो रहा है, तो यहां क्यों रोक रहे हो?” वीडियो में यह भी देखा गया कि माफियाओं ने पुलिस को खदेड़ने और चेतावनी दी कि यदि वे वापस आए तो परिणाम गंभीर होंगे.
जिला प्रशासन की चुप्पी और सवाल
यह पूरी घटना यह सवाल उठाती है कि आखिरकार जिला प्रशासन और पुलिस इस अवैध बालू कारोबार पर क्यों चुप हैं? प्रशासन और पुलिस विभाग इस स्थिति का सामना करने में क्यों डर रहे हैं? बालू माफियाओं को सत्ता के कुछ तत्वों का समर्थन प्राप्त होने के कारण यह कारोबार धड़ल्ले से जारी है.
क्या प्रशासन जागेगा?
अब यह सवाल है कि बालू माफियाओं की इस हरकत के बावजूद क्या प्रशासन जागेगा? क्या जनप्रतिनिधियों की नींद टूटेगी? या फिर यह अवैध कारोबार इसी तरह बदस्तूर जारी रहेगा और प्रशासन केवल मूक दर्शक बना रहेगा? राज्य सरकार कब तक बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया को पूरा करती है और इस अवैध कारोबार पर पूरी तरह से रोक लगाती है, यह भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है.
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