उदित वाणी, रांची: झारखंड की राजधानी रांची में एक रिटायर्ड सिविल इंजीनियर, अनिरुद्ध कुमार (77) का 3 जनवरी 2025 को निधन हो गया. इस दुःखद समाचार के बाद, उनकी दो बेटियां दिव्या और निशा, जो इंग्लैंड और मलयेशिया में रहती थीं, अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए रांची आईं. सात समंदर पार से आकर दोनों बेटियों ने पिता को कंधा दिया और श्मशान घाट में मुखाग्नि भी दी.
विदेश से आईं बेटियां, अंतिम संस्कार में शामिल हुईं
अनिरुद्ध कुमार की बड़ी बेटी दिव्या कुमारी इंग्लैंड में और छोटी बेटी निशा कुमारी मलयेशिया में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर कार्यरत हैं. जब उन्हें पिता के निधन की सूचना मिली, तो उन्होंने तुरंत विमान से झारखंड का रुख किया. बिना समय गवाए, दोनों बेटियों ने रांची पहुंचकर पिता की अंतिम यात्रा में भाग लिया. अनिरुद्ध कुमार के परिवार में कोई बेटा नहीं था, इस कारण बेटियों ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया.
पिता की अंतिम इच्छा का पालन किया
अनिरुद्ध कुमार स्वयं इंजीनियर थे और उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को भी इंजीनियर बनने के लिए प्रेरित किया. दोनों बेटियां विदेश में नौकरी करने और शादी करने के बाद अपनी-अपनी ज़िन्दगी में व्यस्त हो गई थीं, लेकिन उन्होंने हमेशा पिता के साथ संपर्क बनाए रखा. पिता की एक महत्वपूर्ण इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उनकी बेटियां ही उन्हें कंधा दें और मुखाग्नि दें. दोनों बेटियां इस अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए रांची लौट आईं.
वीडियो कॉल के माध्यम से पिता के साथ संबंध बनाए रखते हुए
जब अनिरुद्ध कुमार बीमार थे, तो उनकी बेटियां हर दिन वीडियो कॉल के माध्यम से उनका हालचाल लेती थीं. उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण दोनों बेटियों ने पिता के साथ दूरी का अहसास कभी नहीं होने दिया. अंततः, पिता की मौत के बाद, निशा कुमारी ने उन्हें मुखाग्नि दी और इस कठिन घड़ी में अपनी माँ की भूमिका निभाई.
पिता का अंतिम संस्कार और श्मशान घाट का दृश्य
दीपाटोली स्थित अपने घर से, अनिरुद्ध कुमार की अंतिम यात्रा श्मशान घाट तक पहुंची, जहां उनकी दोनों बेटियों ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा किया.
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