उदित वाणी, चांडिल: चौका फूलो-झानो मोड़ के समीप मंगलवार को पारंपरिक ग्राम प्रधान समिति के बैनर तले एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता बाबू राम सोरेन ने इस मौके पर 2005 में असंवैधानिक तरीके से नियुक्त किए गए ग्राम प्रधानों को चिन्हित कर निरस्त करने की मांग उठाई।
पेसा अधिनियम के तहत परंपरागत मान्यता की मांग
प्रेस वार्ता में बाबू राम सोरेन ने कहा कि पेसा अधिनियम 1996, झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 और ग्राम सभा कामकाज संचालन नियमावली 2003 के तहत पारंपरिक और मान्यता प्राप्त व्यक्तियों जैसे मांझी, मुंडा, पाहन, लाया आदि को अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम प्रधान बनाया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार से इन परंपरागत ग्राम प्रधानों को सम्मानित करने और प्रोत्साहन राशि देने की भी मांग की।
आंदोलन और न्यायालय का सहारा लेने की चेतावनी
बाबू राम सोरेन ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन इन मांगों पर ध्यान नहीं देता है, तो संवैधानिक दायरे में रहते हुए सड़क से सदन तक आंदोलन किया जाएगा। यदि इसके बाद भी समाधान नहीं हुआ, तो उच्च न्यायालय और आवश्यकता पड़ने पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
पारंपरिक समाज को संसाधन उपलब्ध कराने की अपील
उन्होंने राज्य सरकार से झारखंड के पारंपरिक समाज संचालक जैसे मांझी, नायके, पारानिक, भरदो, गोड़ेत, मुंडा, पाहन और लाया को सम्मानित राशि और टैबलेट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने की अपील की।
मौके पर मौजूद प्रमुख व्यक्ति
प्रेस वार्ता में कुरली के मांझी बाबा संजीव टुडू, नायके सुनाराम हेंब्रम, धरनीगोड़ा के मांझी बाबा बबलू टुडू, ऐदेलबेडा के मांझी बाबा सुनिल मार्डी, बबलू सोरेन, सुदन टुडू और कृष्णा बेसरा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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