उदित वाणी, चाकुलिया: उड़ीसा के सिमलीपाल वन अभ्यारण्य से भटककर झारखंड के चाकुलिया वन क्षेत्र में पहुंची जन्नत नामक बाघिन को पकड़ने की कोशिशें अभी तक असफल रही हैं. पांच दिन पहले इस बाघिन ने अपनी दिशा बदलते हुए चाकुलिया का रुख किया था और तब से लेकर अब तक वन विभाग की सभी कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं.
रेस्क्यू ऑपरेशन का नया मोड़
गुरुवार को भी रेस्क्यू टीम बाघिन को पकड़ने में सफल नहीं हो पाई. बुधवार सुबह 9:00 बजे से लेकर गुरुवार तक वन विभाग के कर्मियों ने चाकुलिया के पास के जंगल को घेरकर बाघिन को पकड़ने के प्रयास किए. इस दौरान, तीन भैंसों को वहां लाकर बांध दिया गया था ताकि बाघिन भोजन के लालच में पास आए, जिससे उसे बेहोश कर पकड़ा जा सके. हालांकि, गुरुवार तक बाघिन इन भैंसों तक नहीं पहुंची, जिससे वन विभाग के अधिकारियों के लिए यह स्थिति अप्रत्याशित और चुनौतीपूर्ण हो गई है.
निगरानी और शिकार का सबूत
वन विभाग के कर्मियों ने सेटेलाइट डिवाइस के माध्यम से बाघिन के स्थान की पुष्टि की है. वे लगातार उसे ट्रैक कर रहे हैं, लेकिन अब तक उसके शिकार करने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है. तीन साल की बाघिन जन्नत ने दो राज्यों की रेस्क्यू टीमों को परेशान कर रखा है. टीम में लगभग 80 वनकर्मी और अन्य सदस्य शामिल हैं, जो विभिन्न इलाकों में बाघिन के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं.
गांवों में खतरे का अलर्ट
रेस्क्यू टीम के प्रयासों के बावजूद, इलाके के चार गांवों में धारा 163 लागू कर दी गई है. प्रशासन ने स्थानीय लोगों को इन इलाकों में आने से सख्ती से मना किया है, लेकिन कुछ लोग चेतावनी को नजरअंदाज कर रहे हैं. इस स्थिति में, बाघिन के पकड़े जाने के प्रयास और भी कठिन हो गए हैं.
भविष्य की रणनीतियाँ
रेस्क्यू टीम के लिए यह स्थिति लगातार चुनौतीपूर्ण होती जा रही है. वन विभाग अब इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या बाघिन को पकड़ने के लिए चाकुलिया के जंगल में ही रणनीति बदली जाए, ताकि बाघिन को आगे भागने का मौका न मिले. यह फैसला लेने में समय लिया जा रहा है क्योंकि यदि बाघिन उत्तर दिशा की ओर बढ़ती है, तो वह बंगाल सीमा में प्रवेश कर सकती है, जहां पहाड़ी इलाके के कारण उसे पकड़ना और भी मुश्किल होगा.
अंतिम प्रयास की तैयारी
शुक्रवार की रात तक, वन विभाग की टीम बाघिन को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. भैंसों को फिर से जंगल में बांधकर और टीम के सदस्य छिपकर उसकी प्रतीक्षा करेंगे. इस बार वन विभाग उम्मीद कर रहा है कि बाघिन भैंसों तक पहुंचेगी और रेस्क्यू टीम उसे पकड़ने में सफल हो सकेगी.
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