उदितवाणी, चाईबासा: कोल्हान यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम में कोल्हान आयुक्त हरि कुमार केसरी की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में उपायुक्त कुलदीप चौधरी, पुलिस अधीक्षक आशुतोष कुमार शेखर, उप विकास आयुक्त संदीप कुमार मीणा, वन प्रमंडल पदाधिकारी चाईबासा और सारंडा, अपर उपायुक्त, सभी अनुमंडल पदाधिकारी तथा मानकी-मुण्डा, डाकुवा और दिऊरी ने भाग लिया.
आयुक्त हरि कुमार केसरी ने कार्यशाला के दौरान कहा कि झारखंड राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराएं इस राज्य की पहचान हैं. इन परंपराओं के संरक्षक और संवाहक यहां के पारंपरिक पदाधिकारी जैसे मानकी, मुण्डा, ग्राम प्रधान, डाकुवा और दिऊरी हैं. झारखंड के ग्रामीण समाज में इनका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. आयुक्त ने यह भी कहा कि ये पारंपरिक पदाधिकारी स्थानीय शासन, न्याय और सामाजिक समरसता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और इन्हें कोल्हान के ग्रामीण प्रशासन का हिस्सा माना जाता है.
मानकी-मुंडा की जिम्मेदारियाँ और वर्तमान भूमिका
आयुक्त ने बताया कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे तीव्र सामाजिक और आर्थिक बदलावों ने मानकी-मुंडा की जिम्मेदारियों को और अधिक बढ़ा दिया है. आजकल, ये पदाधिकारी जनता के साथ सरकार का सीधा संपर्क बनाए रखते हैं, विवादों का निपटारा करते हैं, क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखते हैं, और लगान वसूली में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. आयुक्त ने इन कार्यों की सराहना की और कहा कि यह क्षेत्रीय विकास के लिए आवश्यक कदम हैं.
संवाद का उद्देश्य और प्रशासनिक समर्थन
कार्यशाला में उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मानकी-मुंडा के बीच संवाद स्थापित करना है ताकि वे अपनी समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचा सकें. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जो भी मांगें इन पदाधिकारियों द्वारा की गई हैं, उन्हें शीघ्र पूरा करने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. साथ ही, राज्य सरकार द्वारा सम्मान राशि में वृद्धि की गई है, जिसे जल्द ही मानकी-मुंडा को प्राप्त होगा.
ग्राम स्तर पर विवाद निवारण और विकास की दिशा में कदम
उपायुक्त ने ग्राम स्तर पर उत्पन्न होने वाले छोटे-छोटे विवादों को पंचायती स्तर पर निपटाने का सुझाव दिया, ताकि समाज में फैली कुरितियों पर नियंत्रण रखा जा सके. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं सभी अनुमंडल और जिला स्तर पर आयोजित की जाएंगी.
पुलिस अधीक्षक का योगदान
पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक अच्छा अवसर है, जिससे स्थानीय समस्याओं को जानने और समझने में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन की योजनाओं में मानकी-मुंडा की सहभागिता सुनिश्चित करना जरूरी है, ताकि कोल्हान की सामाजिक पृष्ठभूमि को सही दिशा में बढ़ाया जा सके.
निष्कर्ष
कार्यशाला ने प्रशासन और पारंपरिक पदाधिकारियों के बीच एक मजबूत संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान किया है, जो भविष्य में झारखंड के ग्रामीण विकास और सामाजिक समरसता को मजबूत करेगा.
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