उदित वाणी, जमशेदपुर: ऑल इण्डिया संताली लेखक संघ (AISWA) की महिला शाखा और झारग्राम जनजातीय परिषद (जेटीसी) द्वारा आयोजित द्वितीय अखिल भारतीय संताली महिला लेखिका सम्मेलन एवं संताली साहित्य सम्मेलन आज शानदार सफलता के साथ सम्पन्न हुआ. यह सम्मेलन संताली साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ.
सम्मेलन का उद्देश्य और उद्घाटन
इस सम्मेलन में पूरे भारत से संताली महिला लेखिकाओं, कवियों और विद्वानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. सम्मेलन का उद्देश्य संताली साहित्यिक विरासत की समृद्धि का जश्न मनाना और क्षेत्र में महिलाओं के सामने आने वाली समकालीन चुनौतियों का समाधान करना था.
सम्मेलन की शुरुआत पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ हुई, जिसमें दीप प्रज्वलन और प्रार्थना समारोह शामिल थे. इसके बाद संताली साहित्य के महान विभूतियों और सांस्कृतिक प्रतीकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए चित्रों पर माल्यार्पण किया गया.
मुख्य अतिथि मंत्री और पश्चिम बंगाल संताली अकादमी की अध्यक्ष बीरबाहा हंसदा ने आदिवासी पहचान को मजबूत करने और महिलाओं को सशक्त बनाने में साहित्य की भूमिका पर जोर देते हुए उद्घाटन भाषण दिया. विशेष अतिथि चिन्मयी हंसदा मरांडी, और पद्मश्री डॉ. दमयंती बेशरा भी उपस्थित थे. AISWA के महासचिव श्री रवींद्र नाथ मुर्मू ने अपने मुख्य भाषण में संताली महिला लेखकों के सांस्कृतिक लोकाचार की रक्षा में योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने युवा पीढ़ी से अपनी भाषाई और साहित्यिक विरासत पर गर्व करने का आह्वान किया. उद्घाटन सत्र में गंगाधर हांसदा, मदन मोहन सोरेन, निरंजन हांसदा, लक्ष्मण किस्कू, डिजापदा हांसदा और कई अन्य प्रमुख साहित्यकार उपस्थित थे.
पैनल चर्चा और पेपर प्रस्तुतियाँ
संताली साहित्य और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में संताली महिला लेखकों की भूमिका पर एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसका संचालन AISWA (महिला विंग) की सचिव सुचित्रा हंसदा ने किया. इस सत्र में अंजली किस्कू, पबित्रा हेम्ब्रम, बालिका हेम्ब्रम, और पापिया माण्डी जैसे पैनलिस्टों ने साहित्य, लिंग और पहचान के प्रतिच्छेदन पर विचार-विमर्श किया.
इसके साथ ही विद्वानों ने संताली साहित्य में लिंग दृष्टिकोण, डिजिटल परिवर्तन, आदिवासी इतिहास और लोक परंपराओं से जुड़े शोध पत्र प्रस्तुत किए.
कवि सम्मेलन
कवि सम्मेलन ने रचनात्मकता के लिए एक जीवंत मंच प्रदान किया, जिसमें कई कवित्रियों ने संताली समुदाय की सांस्कृतिक और सामाजिक कथाओं को उजागर करने वाली रचनाएँ प्रस्तुत कीं. इस सत्र की अध्यक्षता शोभा हांसदा ने की. अतिथि के रूप में मानिक हंसदा, वीर प्रताप मुर्मू, सारदा मुर्मू, सरस्वाति हांसदा और जलेश्वर किस्कू उपस्थित थे.
सम्मेलन का समापन और महत्व
सम्मेलन का समापन प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह वितरित करने के साथ हुआ. इसके बाद एक समूह फोटोग्राफ लिया गया, जिससे इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की यादें संजोई गईं. AISWA और जाहेर थान कमिटी ने सभी प्रतिभागियों और प्रायोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने संताली लेखकों के लिए मंचों को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए उनकी विरासत को संरक्षित करने का संकल्प लिया.
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