उदित वाणी, चाईबासा: झारखंड में यूनिसेफ और नवभारत जागृति केंद्र ने मिलकर होटल सनशाइन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को स्वस्थ खान-पान और एनीमिया से जुड़ी जानकारी देना था, ताकि वे किशोरों और किशोरियों को स्वस्थ जीवनशैली के महत्व से अवगत कर सकें. इस कार्यशाला में चाईबासा सदर, खूंटपानी और मंझरी प्रखंडों के 30 मध्य विद्यालय के शिक्षक और 15 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के वार्डन शिक्षकों ने भाग लिया.
शिक्षकों को स्वस्थ खानपान की आदतों पर प्रशिक्षित किया गया
कार्यशाला में पोषण कंसलटेंट प्रतिमा सिंह और रामनाथ राय ने स्वस्थ खानपान के महत्व को समझाया. उन्होंने बताया कि बच्चों और युवाओं में बढ़ रही संचारी बीमारियां जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और अस्थमा के कारण स्वस्थ खानपान को प्राथमिकता देना आवश्यक है. शिक्षकों को यह भी बताया गया कि स्वस्थ खानपान की आदतों को बढ़ावा देने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे बच्चों में इन बीमारियों को रोका जा सकता है.
फास्ट फूड और जंक फूड से बचने की आवश्यकता
प्रतिमा सिंह ने कहा कि बच्चों में फास्ट फूड और जंक फूड खाने का प्रचलन बढ़ रहा है, जो गैर-संचारी बीमारियों को बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने बच्चों के खानपान में नमक और चीनी की मात्रा कम करने पर जोर दिया. इसके साथ ही पारंपरिक खानपान, जैसे कि साग-सब्जियां, फल और मिलेट्स को आहार में शामिल करने की सलाह दी गई.
शिक्षकों की भूमिका
शिक्षकों की भूमिका बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली की आदतों में बदलाव लाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्हें यह सिखाने की जरूरत है कि वे अपने विद्यार्थियों को स्वस्थ खानपान के बारे में जागरूक करें और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करें. इस कार्यशाला के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई कि स्वस्थ खानपान और जीवनशैली को अपनाने से बच्चों और युवाओं में बढ़ रही बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
समाप्ति और उम्मीदें
इस कार्यशाला का समापन शिक्षकों को स्वस्थ खानपान के आदान-प्रदान और प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निभाने की प्रेरणा देने के साथ हुआ. सभी उपस्थित शिक्षकों ने इस कार्यशाला को बेहद लाभकारी और शिक्षाप्रद बताया.
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